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लक्ष्मण ने खरदूषण की युद्ध में जीत लिया और सूरजहास से उसका सिर काट दिया ।
सीता हरण के कारण राम परयधिक विसाप करने लगे । लक्ष्मण भी रोने लगे । विद्याधरों के राजा रत्न जटी को सीता की तलाश करने भेजा । वह रावण के पास गया । उसे भला बुरा कहा । लेकिन रावण ने बारा मारा जिससे वह समुद्र में जा गिरा । णमोकार मंत्र के स्मरण से वह बाहर निकल प्राया। सीता को अशोक वाटिका में रखा गया। रावण ने सीता को मनाने का बहुत प्रयास किया । रावण की दूसियां उसके पास पहपी लेकिन सब व्यर्थ गया । रावण के मंत्री मण्डल ने सब परिस्थितियों पर विचार किया लेकिन वे निर्णय पर नहीं पहुंच सके।
सर्वप्रथम राम से किषध नगर के राजा सुग्रीव पाकर मिला । सुग्रीव का राज्य चला गया था । राम ने उसको वापिस दिलाने का प्राश्वासन दिया लेकिन साथ में सीता को कर लाने की भी बात कही। सुग्रीव ने साल दिन का वचन दिया । राम ने तत्काल सेना एकत्रित करके विट सुग्रीव पर प्राक्रमण कर दिया और उसे पराजित करके सुग्रीव को वापिस राजा बना दिया। राज्य प्राप्ति की खुशी में सुग्रीव ने राम को कन्यायें भेट की जो सब कलामों में निपुण थी।
वारों और सीता की खोज होनी जनी । सुग्रीक विपापर मानवी सन पौर उसे राम के पास ले पाये । रलजटी ने रावण द्वारा सीता का हरए की बात कही तथा उसकी शक्ति सेना एवं विद्यासिद्धि के सम्बन्ध में बतलाया तथा कहा कि
रावण को जीतना प्रासान नहीं है इसलिये बह दूसरा विवाह कर लेवें । जांबुनद __ मंत्री ने भी इसका समर्थन किया । उसने कहा कि रावण ने तीन खण्ड पृरबी जीत लेने के पश्चात् अपनी मृत्यु के सम्बन्ध में जानना चाहा । उस समय भविष्यवाणी ई थी कि जो भी कोटिशिला को उठा लेगा उसी के हाथ से रावण की मृत्यु होगी । तत्काल राम लक्ष्मण सुग्रीव कोटिशिला उठाने पले । लक्ष्मण ने जाकर कोटिशिला को उठा लिया इससे सब यह जान गये कि लक्ष्मण नारायण है। प्रति नारायण रावण है जिसकी मृत्यु नारायण के हाथ से होगी। इससे राम लक्ष्मण के पुरुषार्थ की चारों भोर धाक जम गयी।
हनुमान को राम लक्ष्मण के मारे में एवं सुग्रीव को राज्य की प्राप्ति के बारे में समाचार मिले तो वह भी राम की शरण में चला पाया । हनुमान ने राम की बन्दना की और राम ने भी उसे गले लगा लिया।
चरण कमल पन्दे हनुमंत, रामचन्द्र भये रूपाबन्त । कंठ लगाई सन्मुख बैठाई, प्रादरि मनोहारी बहुभाय ||२६६१-२॥ हनुमान ने सौता को लाने का वचन दिया और शीघ्र वहां से बल दिया ।