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प्रस्तावना
के प्रवसर पर जब राम ने धनुष खेंचा तो एक मेघ के समान गर्जना हुई, एक भूचान सा माया । देवताओं ने भाकाश से जय जयकार किया। इसी समय भरत का लोक सुन्दरी से विवाह हुआ। दशरथ, राम प्रादि परिवार के सभी सदस्य जब अयोध्या लोट पाये तो सबने जिन पूजा की और गधोदक को सिर पर चढा लिया ।
उधर भामण्डल को सीता से विवाह करने की प्रबल इच्छा हुई लेकिन जब उसने सीता के वियाह की बात सुनी तो अपनी सेना लेकर विदेह देषा की मोर चला। वहां जाने पर भामण्डल को जाति स्मरण हो गया । वह सीता की याद में मूच्छित हो गया । इधर सीताजी को भी अपने भाई की याद माने लगी। दशरथ परिवार सहित मुनि के पास गये और भामंडल के विछड़ने का कारण पूछा। विस्तृत बुतान्त जानकर उन्हें वैराग्य हो गया । थे चिन्तन करने लगे
शुभ अशुभ का भाव ए, देखो समझि विचार ।
सुपना का सा सुख ए, जात न लाग बार ||२११२।। दशरथ ने राम को राज्य देने का निश्चय किया। इतने में ही ककेयी ने राजसभा में प्राकर भरत को राज्य देने का वर मांग लिया । कैकयी की बात सुनकर दशरथ बहुत दुःखी हुए लेकिन कोई उपाय नहीं था। भरत ने प्रारम्भ में
र लेने का गौर सेगी किन राः पहेच्छा से राज्य को त्याग कर सीता एवं लक्ष्मण के साथ वन की ओर चले गये पौर अयोध्या में भरत राम्य करने लगे। दशरथ ने वैराग्य धारण कर लिया । राम का बन गमन--
राम प्रपने भाई एवं पत्नी सहित सर्वप्रथम उज्जयिनी पहुंचे। वहां सिहोदर राजा राज्य करता था । लक्ष्मण ने सहज ही उस पर विजय प्राप्त करलो प्रोर वे तीनों मागे बढ़े। एक बार सीला को प्यास बुझाने के लिए गए हुए लक्ष्मण को विद्याधर राजा मिला । उसने तीनों का बहुत सम्मान किया । प्रागे चलकर उन्होंने रुद्रत राजा से बालखिल्म को छुड़वाया। वे सब कुबड़पुर पाये। वहां सिहोदर एवं वजुकरण राजा भी मिल गये। वहां से तीनों मागे बढ़े। मार्ग में एक विप्र के घर पानी पिया । लेकिन विप्र ने बहुत क्रोध किया । लक्ष्मण उसे मारने दौड़े लेकिन राम ने उन्हें शान्त कर दिया। फिर तीनों ने एक बस्ती में जाकर मन्दिर में विश्राम किया। मन्दिर का देवता राम से बहुत प्रसन्न हुमा । इनके लिये उसने मायामयी नगरी की रचना की । तीनों ने प्रथम चातुर्मास वहीं व्यतीत किया ।
चातुर्मास के पश्चात् वे विजयवन में गये । वहां के राजा पृथ्वीवर की पुत्री वनमाला लक्ष्मण पर प्रासक्त हो गयी और लक्ष्मण के नहीं मिलने पर अपपात करने लगी । लक्ष्मण ने प्रकट होकर उसे बहुत समझाया और अन्त में पत्नी के रूप