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मुनि समाचंच एवं उनका पयपुराण
नाथ से लेकर मुतिसुबत तक हजारों राजा होते हैं । प्रयोऽपा में बजवाह, कीर्तिधर हिरण्यनाभ, नहुष, स्योदास एवं प्रमण पावि एक के बाद दूसरे राजा होते हैं अरुण राजा के अनन्तरष एवं दशरथ दो पुत्र होते हैं लेकिन अपने पिता के साथ अनन्तरथ द्वारा दीक्षा लेने के कारण दारथ राजा बनते हैं। दशरथ के तीन रानियों थी-अपराजिता, कैकयी एवं सुमित्रा।
एक दिन रावण के यहां नारद ऋषि का प्रागमन हुआ । रावण द्वारा अपने मारने वाले का नाम जानना चाहा लो नारद ने दशरथ के पुत्र लक्ष्मण का नाम
था जन्म की कीमत का सामनार | रावण ने तत्काल दशरथ एवं जनक को मारने के लिए दूत भेजे लेकिन वे दूसरों को मार कर उनके सिर रावण के सामने रख दिये । रावण अपने पापको अमर समझने लगा।
के कमी का विवाह स्वयंवर द्वारा हसा था । स्वयंवर के पश्चात् केकयी ने दशरथ का पुगा साप दिया। दशरथ की विजय हुई। राजा दशरथ ने प्रसन्न होकर फैकयी से यथेच्छ वर मांगने के लिए कहा लेकिन रानी ने भविष्य के लिए सुरक्षित रख लिया । दशरथ मानन्द राज्य करने लगे । अपराजिता, के राम, सुमित्रा के लक्ष्मण एवं के कयी के भारत का जन्म मा । सुमात्रा के शत्रुधन पंदा हुए । इनके जन्म होते ही रावण के घर अपशकुन होने लगे। चारों भाई विभिन्न विद्यायें सीखने लगे।
जनक के घर सीता एवं भापण्डल का जन्म इना। भामण्डल के पूर्व भव के वर के कारण जन्म होते ही देवतागण उसे उठा ले गये पौर रथुनुपुर राजा के जिन मन्दिर में बैठा गये । सुदरमणा रानी के कोई सन्तान नहीं होने के कारण उसका सालन पालन उसी ने किया । जनक यं दशरथ दोनों ने भामण्डल की बहुत तलाश की लेकिन कहीं पता नहीं चला । एक बार जनक की नगरी मिथिला पर म्सेच्छ राजा ने अाक्रमण कर दिया । जनक ने दशरथ से सहायता की याचना की । दशरथ के स्थान पर राम लक्ष्मण जनक की सहायता के लिये गये । उन्होंने युद्ध में म्लेच्छौ की सेना को भगा दिया। इससे जनक ने राम को सीता देने की इच्छा प्रकट की। इसी समय नारद ऋषि भी राम का पौरुष देखने पाये। उन्होंने सीता का रूप देखना चाहा तो सीता नारद को देखकर हर गगी। इसमें नारद ने जनक फो काय उत्तर देना जाहा 1 वह रथ नुपुर के विद्याधर राजा प्रभामंडल के पास गये और सीता के चित्र को उसे दिखाया। प्रभामंडल चित्र को देखते ही उस पर प्रासक्त हो गया। विवाह के लिये जनक के सामने प्रस्ताव रखा गया । स्वयंबर रचने का निर्णय लिया गया। सीता का स्वयंवर हुमा मौन राम के साथ सीता का विवाह हो गया । विवाह के अवसर पर जो मिष्ठान्न बने कवि ने उनका बाहुन सुन्दर वर्णन किया है । स्वयंवर