Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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प्रथम खण्ड : जीवनी खण्ड
सतीश्री रूपकंवर जी-“ज्ञान सूर्य ! आपके व्याख्यान को सुनकर तो कृतकृत्य हो गई । "
आचार्यश्री- “मूल देन तो आप ही की है।"
सांसारिक पक्ष की दृष्टि से माता और पुत्र, किन्तु आध्यात्मिक दृष्टि से आचार्य और आज्ञानुवर्तिनी साध्वीजी | के इस संक्षिप्त पर सारगर्भित संवाद को सुनकर सभी ने अनिर्वचनीय आनंद की अनुभूति की ।
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हर्षविभोर महासती छोगांजी ने कहा- "सूर्य तो सदा प्राची से ही प्रकट होता है।"
आचार्यश्री- "महासतीजी ! प्राची की यह विशेषता भी भुलाई नहीं जा सकती कि सूर्य को प्रकट कर प्राची | उसे केवल अपनी ममता तक ही सीमित नहीं रखती । उसे सभी दिशाओं - विदिशाओं को धर्मपुत्र के रूप में गोद दे | देती है ।" इस पर पूरा सतीवृन्द श्रद्धाभिभूत हो समवेत स्वरों में उमड़ पड़ा- “भगवन् ! आपका फरमाना शत प्रतिशत | सत्य तथ्य है । धन्य है प्राची, धन्य है प्राची का सूर्य और धन्य है रलवंशीय चतुर्विध संघ, जिसे प्राची और सूर्य दोनों | ही नवजीवन प्रदान कर रहे हैं।"
रत्नवंश के आचार्यों की विशेषता
में
रत्नवंश परम्परा की प्रारम्भ से ही यह विशेषता रही कि उसमें जितने भी आचार्य हुए वे सब लघुवय | दीक्षित बाल ब्रह्मचारी सन्तरत्न थे । चरितनायक आचार्य श्री ने उन सभी का स्मरण किया। प्रसंगवशात् पूर्वाचार्यों | के जन्म एवं दीक्षा का उल्लेख किया जा रहा है—
१. बाल ब्रह्मचारी आचार्य श्री गुमानचन्द जी महाराज का जन्म विक्रम संवत् १८०८ में हुआ और वे १० वर्ष की वय में विक्रम संवत् १८१८ मार्गशीर्ष शुक्ला ११ को श्रमणधर्म में दीक्षित हुए ।
२. बाल ब्रह्मचारी आचार्य श्री रत्नचन्द्र जी महाराज का जन्म वि.सं. १८३४ में वैशाख शुक्ला ५ को हुआ और १४ वर्ष की वय होते-होते वे वि.सं. १८४८ वैशाख शुक्ला ५ को दीक्षित हुए।
३. बाल ब्रह्मचारी आचार्यश्री हमीरमल जी महाराज का जन्म वि.सं. १८५२ में हुआ और वे १० वर्ष की वय में वि.सं. १८६२ फाल्गुन शुक्ला ७ को दीक्षित हुए।
४. बाल ब्रह्मचारी आचार्य श्री कजोडीमल जी महाराज का जन्म वि.सं. १८७५ में हुआ और १२ वर्ष की वय में प्रवेश करते-करते वि.सं. १८८७ माघशुक्ला ७ को दीक्षित हुए।
५. बाल ब्रह्मचारी आचार्य श्री विनयचन्द्र जी महाराज का जन्म वि.सं. १८९७ में आश्विनशुक्ला १४ को हुआ और वे वि.सं. १९१२ में मार्गशीर्ष कृष्णा २ को १५ वर्ष की वय में दीक्षित हुए।
६. बाल ब्रह्मचारी आचार्यश्री शोभाचन्द्र जी महाराज का जन्म वि.सं. १९१४ में कार्तिक शुक्ला ५ को हुआ और वे १३ वर्ष की वय में ही वि.सं. १९२७ में माघ शुक्ला ५ को दीक्षित हुए ।
चरितनायक बाल ब्रह्मचारी आचार्य श्री हस्तीमल जी महाराज का जन्म वि.सं. १९६७ की पौष शुक्ला चतुर्दशी के दिन हुआ । आप १० वर्ष और १८ दिन की लघु वय में ही विक्रम संवत् १९७७ की माघ शुक्ला दूज | के दिन श्रमण धर्म में दीक्षित हुए।