Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं
(१) तत्त्वार्थ सूत्र (पद्यबद्ध )
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वाचक उमास्वाति द्वारा रचित तत्त्वार्थसूत्र श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों सम्प्रदायों में मान्य ग्रन्थ है, जिसमें जैन दर्शन का सार आ गया है । आचार्यप्रवर ने तत्त्वार्थसूत्र को संस्कृत-पद्यों में ढालने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। आपने इन पद्यों में तत्त्वार्थसूत्र के सूत्रार्थ को ही ग्रहण नहीं किया, वरन् विवक्षित विषय को भी स्पष्ट करने का प्रयास किया है । तत्त्वार्थसूत्र में दश अध्याय हैं, आपने ६७३ पद्यों में इन अध्यायों की विषयवस्तु को गूंथा है । यह ग्रन्थ | प्रकाशन की अपेक्षा रखता है। इसकी पाण्डुलिपि प्राप्त है।
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(२) ध्यान सम्बन्धी पुस्तक
आचार्यप्रवर के निर्देशन में ध्यानविषयक पुस्तक तैयार हुई थी, किन्तु न तो यह प्रकाशित हुई और न ही | इसकी पाण्डुलिपि का अता-पता है ।
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(३) स्याद्वादमंजरी
आपने स्याद्वादमंजरी का हिन्दी विवेचन तैयार कराया था, किन्तु इस पुस्तक की भी पाण्डुलिपि कहीं खो गई
(४) मुक्ति सोपान
आपने जैनधर्म-दर्शन की जानकारी हेतु मुक्ति सोपान एक पुस्तक तैयार की थी, किन्तु यह अपूर्ण एवं अप्रकाशित है।
(५) षड्दर्शनसमुच्चय
श्री राजशेखरसूरि विरचित षड्दर्शनसमुच्चय का आपने विवेचन तैयार कराया था। इसकी पाण्डुलिपि | उपलब्ध है एवं प्रकाशनाधीन है।
इनके अतिरिक्त आपकी दैनन्दिनियाँ भी साहित्य का ही रूप हैं। उनमें जो सारभूत वाक्य उपलब्ध हैं, वे | जीवन के मार्गदर्शक हैं। उनमें ग्राम, नगर, श्रावक, विशेष घटना आदि की जानकारी भी उपलब्ध होती है। उपर्युक्त | विवरण के अलावा भी आपका साहित्य सम्भव है, जो जानकारी में न आ सका हो। यदि किसी को जानकारी हो तो सूचित करे ।