Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
View full book text
________________
नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं
८५८
| लाभ प्राप्त करते हैं। हास्पिटल के पास ७ लाख रुपये का स्थायी फण्ड है। श्री सुरेश दादा जैन, श्री भंवरलाल जी जैन, श्री रतनलाल सी बाफना व श्री दलीचंद जी जैन इसके प्रमुख ट्रस्टी हैं ।
• श्री भूधर कुशल धर्म - बन्धु कल्याण कोष, बडेर भवन, तख्लेशाही मार्ग, जयपुर
परमश्रद्धेय आचार्यप्रवर पूज्य श्री १००८ श्री हस्तीमलजी म.सा. के सुशिष्य तत्त्वचिन्तक श्री प्रमोदमुनि जी | म.सा. की पावन दीक्षा के मंगलमय प्रसंग पर दिनांक १५ दिसम्बर १९८३ को स्वधर्मी वात्सल्य के पुनीत लक्ष्य से | अनन्य गुरु भक्त सुश्रावकगण सर्वश्री इन्दरचन्द जी हीरावत, श्री पूनमचन्दजी बडेर एवं कैलाश चन्द जी हीरावत | के सत्प्रयासों से एक सार्वजनिक प्रन्यास के रूप में इस कोष की स्थापना की गई। यह प्रन्यास आयकर अधिनियम | की धारा ८० जी के तहत अनुदानों की कर मुक्ति हेतु पंजीकृत है। वर्तमान में कोष के पास ५५ लाख रुपये से | अधिक का ध्रुवकोष है एवं इसके द्वारा प्रतिवर्ष २६५ परिवारों को ७ लाख ७० हजार रुपये की प्रतिमाह सहयोग | राशि उपलब्ध कराई जा रही है ।
• बाल शोभा संस्थान, पुराना अनाथालय भवन, बागर चौक, जोधपुर
सेवा अहिंसा का विधेयात्मक रूप है। परम श्रद्धेय आचार्यदेव के अनन्य भक्त, सेवा धर्म के पर्याय कुशल प्रशासक, विनिमय एवं प्रतिभूति बोर्ड के चेयरमेन जैसे गौरवशाली पद से सेवानिवृत्त श्री देवेन्द्र राजजी मेहता आई. ए एस. के संकल्प एवं प्रेरणा का परिणाम है- बाल शोभा संस्थान, जिसमें मातृ पितृ विहीन बालकों का ममता, प्यार, दुलार एवं वात्सल्य के साथ लालन-पालन किया जाता है।
इस संस्थान की स्थापना १५ अगस्त १९८७ को ४ बालकों के प्रवेश से की गयी। आज इसमें ८७ बालक हैं। संस्थान एक स्वयंसेवी रजिस्टर्ड संस्था है जो बिना किसी भेदभाव, क्षेत्र, धर्म, जाति आदि के इन बालकों के | निःशुल्क आवास, भोजन, वस्त्र, चिकित्सा व शिक्षा की सुचारु रूपेण व्यवस्था कर रही है। स्थापना काल से ही संस्थान का संचालन करने वालों में प्रमुख समाज सेविका श्रीमती सुशीला जी बोहरा अग्रगण्य हैं। I
स्वधर्मी सहायता कोष,
जलगाँव
समाज के गरीब भाई-बहिनों की सहायता करने के लिये इस कोष की स्थापना श्री सुरेश कुमारजी जैन द्वारा प्रदत्त ३ लाख ४२ हजार की राशि से की गयी थी, जिसके माध्यम से जरूरतमन्दों को ३० प्रतिशत कम मूल्य पर राशन उपलब्ध कराया जाता है तथा आर्थिक व्यवस्था के लिये बिना ब्याज ऋण दिया जाता है। अब तक १५० | भाइयों को बिना ब्याज करीब ६ लाख रु. के ऋण दिये जा चुके हैं।
श्री महावीर रत्न कल्याण कोष, सवाईमाधोपुर
·
अपने स्वधर्मी भाई-बहिनों की सार-संभाल एवं समय-समय पर अपेक्षित सहयोग प्रदान करना श्रावक का | कर्तव्य है । इसी पवित्र भावना से परम श्रद्धेय आचार्य भगवन्त के १९८८ के वर्षावास में इस कोष की स्थापना हुई । संस्था वर्तमान में अनेक परिवारों को मासिक सहयोग प्रदान कर उनकी आवश्यकताएं पूरी करने का प्रयास | कर रही है।
नोट दिया जा रहा है।
पूज्य आचार्यप्रवर के महाप्रयाण के अनन्तर गठित संस्थाओं का परिचय यहाँ स्थानाभाव से नहीं
·