Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं ८५६ व्यक्तिगत स्तर पर कुछ मानदण्डों के साथ एवं शाखा स्तर पर स्वस्थ स्पर्धा हेतु प्रतिवर्ष वार्षिक अधिवेशन में उल्लेखनीय कार्य करने वाले युवारत्नों को और सर्वश्रेष्ठ शाखा को सम्मानित किया जाता है।
संघ की भांति युवक परिषद् परामर्शदाताओं से प्रेरणा प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर, क्षेत्रीय स्तर एवं स्थानीय स्तर पर समय-समय पर शिविर-प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर स्वाध्याय सेना के लिये स्वाध्यायी तैयार करती है। नियत समय पर कार्यकारिणी एवं प्रतिनिधि सभाओं के माध्यम से कार्यों की समीक्षा और भावी कार्यक्रमों का निर्धारण किया जाता है।
प्रत्येक तीन वर्ष के कार्यकाल के पश्चात् परिषद्-अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है। कार्यकारिणी में कार्याध्यक्ष उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव, कोषाध्यक्ष कार्यक्रम प्रभारी, क्षेत्रीय प्रधान के साथ कार्यकारिणी सदस्यों का मनोनयन किया जाता है। परिषद् पूर्व निदेशकों की सेवाएँ स्थायी आमन्त्रित सदस्यों के रूप में लेकर उनके अनुभवों से लाभ उठाने का प्रयास करती है और अखिल भारतीय श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ की छत्रछाया में अपने कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करती है। संघ-संरक्षक मण्डल के संयोजक , संघाध्यक्ष, संघ कार्याध्यक्ष, संघ महामंत्री, सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल के अध्यक्ष, कार्याध्यक्ष, मंत्री, स्वाध्याय संघ के संयोजक, सचिव व श्राविका मण्डल के अध्यक्ष, कार्याध्यक्ष महासचिव जैसे पदाधिकारियों के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से युवक परिषद् अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सक्रिय भूमिका निभाती आ रही है। युवक परिषद् अध्यक्ष के रूप में श्री अमिताभ जी हीरावत, श्री आनन्दजी चौपड़ा, श्री विनयचन्दजी डागा ने सेवाए दीं। अब सन् २००० से अनिलजी बोहरा अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
युवक परिषद् का राष्ट्रीय कार्यालय घोडों का चौक जोधपुर में स्थित है और समस्त पत्राचार कार्यालय द्वारा किया जाता है। युवक परिषद् ने स्वाध्यायी तैयार करने का संकल्प लिया, उसे पूरा किया और आज पढ़े लिखे एवं विशिष्ट पदों पर कार्यरत युवक स्वाध्यायी-सेना के सिपाही के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिनवाणी का व्यापक प्रचार-प्रसार हो इस भावना से भगवान महावीर २६०० वें जन्म-कल्याणक वर्ष में “जिनवाणी' मासिक पत्रिका के २६०० से अधिक सदस्य बनाने का संकल्प सघनता से सम्पन्न किया। संघ आर्थिक रूप से सबल हो, इस पुनीत कार्य में युवारत्न बन्धुओं ने जोधपुर श्रावक सम्मेलन में गजेन्द्र निधि के ८१ आजीवन सदस्य बनाने का कार्यक्रम हाथ में लिया, जिसकी क्रियान्विति में युवक परिषद् की सक्रियता प्रेरणादायी है।
(ई) समाज-सेवा के उद्देश्य से गठित संस्थाएँ सेवा को आचार्य भगवन्त सबके लिये करणीय मानते थे। संघ-सेवा, सन्त-सेवा, स्वधर्मी वात्सल्य-सेवा, दीन-दुःखी, निर्धन और असहाय की सेवा के साथ करुणा की भावना से प्राणिमात्र की सेवा के प्रेरक आचार्य | भगवन्त ने सेवाधर्म की साधना में आबाल-वृद्ध और जैन-जैनेतर जन समुदाय को प्रेरित किया, परिणाम स्वरूप व्यक्ति-व्यक्ति में सेवा के भाव विकसित हुए। सेवाभावना से गठित संस्थाओं का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है• श्री अमर जैन मेडिकल रिलीफ सोसायटी, चौड़ा रास्ता, जयपुर
___ जयपुर में समतामूर्ति श्री अमरचन्दजी म.सा. के संथारा पूर्वक स्वर्गवास की स्मृति में सन् १९६१ में श्री अमर जैन मेडिकल रिलीफ सोसायटी की स्थापना की गयी। रोगी का दुःख दूर करने की प्रेरणा से प्रारम्भ यह संस्था अब विशालवृक्ष की भांति समाज-सेवा में संलग्न है। इस संस्था के अन्तर्गत अमर जैन अस्पताल, चौड़ा रास्ता में संचालित है तथा डिस्पेन्सरी मोतीसिंह भोमियों के रास्ते में चल रही है। अमर जैन अस्पताल अनुभवी एवं योग्य