Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh

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Page 908
________________ ८३८ नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं आचार्य श्री हस्तीमलजी म.सा. के दिवंगत होने के पश्चात् गठित संस्थाएँ १. श्री जैन रत्न छात्रावास, पाली-मारवाड़ २. आचार्य श्री हस्ती मेडिकल रिलीफ सोसायटी, सवाई माधोपुर ३. अ.भा. श्री जैन रत्न आध्यात्मिक शिक्षण बोर्ड, जोधपुर ४. आचार्य श्री हस्ती नि:शुल्क होम्योपैथी चिकित्सालय, किशनगढ़ ५. आचार्य श्री हस्ती अहिंसा कार्यकर्ता अवार्ड योजना, जलगाँव ६. गजेन्द्र निधि ट्रस्ट मुम्बई ७. गजेन्द्र फाउण्डेशन , मुम्बई ८. शरदचन्द्रिका मोफतराज मुणोत वात्सल्यनिधि, मुम्बई (अ) ज्ञानाराधन हेतु गठित संस्थाएँ • सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, बापू बाजार, जयपुर ३०२००३ फोन नं. ०१४१-२५६५९९७ ___ परमप्रतापी महान् क्रियोद्धारक आचार्य श्री रत्नचन्द्र जी म.सा. की स्वर्गवास शताब्दी के पुनीत अवसर पर विक्रम संवत् २००२ में ज्ञान और साधना की विभिन्न प्रवृत्तियों के संचालन हेतु सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल की स्थापना हुई। प्रारम्भ में इसका कार्यालय जोधपुर में था, फिर कुछ वर्षों में ही जयपुर स्थानान्तरित हो गया। सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ इस प्रकार हैं १. जिनवाणी मासिक पत्रिका का प्रकाशन - जैन धर्म-दर्शन, संस्कृति, इतिहास एवं आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की वाहक 'जिनवाणी' मासिक पत्रिका का विगत ६० वर्षों से निरन्तर प्रकाशन हो रहा है। पत्रिका के प्रकाशन की रूपरेखा आचार्यप्रवर के लासलगांव चातुर्मास संवत् १९९९ में पं. दुःखमोचन जी झा के निर्देशन में तैयार हुई तथा प्रकाशन का शुभारम्भ श्री जैन रत्न विद्यालय, भोपालगढ़ से पौष शुक्ला पूर्णिमा संवत् १९९९ तदनुसार जनवरी १९४३ में हुआ। तदनन्तर अक्टूबर १९४८ से इसका प्रकाशन सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल के जोधपुर कार्यालय से श्री विजयमलजी कुम्भट एवं श्री माधोमलजी लोढा की व्यवस्था एवं देखरेख में हुआ। संवत् २०११ में आचार्यप्रवर का चातुर्मास जयपुर में था। श्रावकों ने जोधपुर की अपेक्षा प्रदेश की राजधानी जयपुर में अधिक सुविधा को दृष्टिगत रखकर जिनवाणी कार्यालय जयपुर में स्थानान्तरित कर दिया। उसके पश्चात् अगस्त १९५४ से यह पत्रिका जयपुर स्थित सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल कार्यालय द्वारा नियमित रूप से प्रकाशित की जा रही है। जयपुर के सर्व श्री उमरावमल जी सेठ, श्री सिरहमल जी बम्ब, श्री पनमचन्दजी बडेर, श्री उग्रसिंह जी बोथरा, श्री नथमलजी हीरावत, श्री टीकमचन्दजी हीरावत के साथ समाज के अनेक महानुभावों ने इसके नियमित संचालन में प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग प्रदान किया। प्रारम्भ में यहां श्री भंवरलाल जी बोथरा ने कुशलतापूर्वक जिनवाणी का कार्य सम्हाला । न्यायमूर्ति श्री इन्द्रनाथजी मोदी, न्यायमूर्ति श्री सोहननाथ जी मोदी की प्रेरणा सदा बनी रही। _ प्रारम्भिक अवस्था में जिनवाणी मासिक पत्रिका को प्रतिष्ठित करने का दायित्व बहुत बड़ा था, परन्तु श्रावकों के धैर्य एवं निष्ठा ने विघ्नबाधाओं एवं विपदाओं का दृढता से सामना किया। परिणामस्वरूप यह पत्रिका सन्

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