Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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। पंचम खण्ड : परिशिष्ट । श्रीमती ओटीबाईजी थीं। आपका विवाह श्री माणकमलजी सिंघवी के साथ हुआ। आपके पति का आकस्मिक में निधन हो जाने के पश्चात् आप संसार से विरक्त हो गयी तथा वि.सं. २०४४ ज्येष्ठ कृष्णा सप्तमी को जोधपुर में |
महासती श्री अमरकंवर जी म.सा. (छोटे) की निश्रा में आपने भागवती दीक्षा अंगीकार की। म २२ वर्ष तक संयम का पालन कर आपने वि.सं. २०२६ पौष कृष्णा चतुर्थी (या पंचमी) को घोड़ों का चौक ! जोधपुर में समाधि-मरण को प्राप्त किया। • महासती श्री सन्तोष कंवर जी म.सा.
सेवाभावी महासती श्री सन्तोषकंवरजी म.सा. का जन्म अजमेर जिलान्तर्गत मसूदा ग्राम में सुश्रावक श्री धनराजजी रांका की धर्मपत्नी श्रीमती इन्द्राबाई जी रांका की कुक्षि से विक्रम संवत् १९८७ में हुआ। पुत्री का नाम । 'सन्तोष' रखा गया। माता-पिता ने धार्मिक संस्कारों से समृद्ध बनाने में उल्लेखनीय योगदान किया।
सन्तोषजी का विवाह ब्यावर के सोनी परिवार में हुआ। परन्तु कुछ समय पश्चात् ही पतिदेव का आकस्मिक | निधन हो जाने से आपको संसार से वैराग्य हो गया। दृढ वैराग्य भावना से आपने महासतीजी श्री छोटा धनकंवर जी म.सा. की निश्रा में अजमेर शहर में वि.सं. २००७ ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को भागवती दीक्षा अंगीकार कर संयम का पथ अपनाया। आपने प्रवचन-साहित्य, ढालें, चौपाई आदि का अभ्यास किया। आपकी सन्तोषवृत्ति, सरलता व मधुर वाणी आगन्तुक दर्शनार्थियों को आज भी आकर्षित करती है। आप संयम धर्म का निर्मल पालन कर रही हैं। विक्रम संवत् २०१६ से आपको प्रवर्तिनी महासती श्री सुंदरकंवर जी म.सा. की सेवा में रहने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
___ आपके सर्वाधिक चातुर्मास जोधपुर में हुए। जोधपुर के अलावा निमाज, पीपलिया, बर, मसूदा, विजयनगर, ब्यावर, अजमेर, किशनगढ, अहमदाबाद, पाली, भोपालगढ, थांवला, नसीराबाद, बडू, जावला, गोविन्दगढ, पीह, हरमाड़ा, मेड़ता सिटी , गोटन, धनारीकलां आदि स्थानों को भी आपके चातुर्मास प्राप्त हुए।
___ आपने जोधपुर के पावटा स्थानक में संवत् २०३५ से २०४३ तक रहकर प्रवर्तिनी महासती श्री सुन्दरकंवर जी म.सा., महासती श्री इचरजकंवर जी म.सा. आदि की अग्लान भाव से सेवा की। • महासती श्री ज्ञानकंवर जी म.सा.
___ आपका जन्म पाली में वि.सं. १९७० की चैत्र शुक्ला दशमी को हुआ। आप श्री गुलाबचन्दजी वैद की सुपुत्री थीं। आपके पति श्री माणकचन्दजी सुकलेचा का आकस्मिक निधन हो जाने से आपको संसार से विरक्ति हो गयी तथा वि.सं. २००९ मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी को पाली में प्रवर्तिनी महासती श्री बदनकंवर जी म.सा. की निश्रा में भागवती दीक्षा अंगीकार की।
२८ वर्षों तक संयम का पालन कर आपने वि.सं. २०३७ द्वितीय ज्येष्ठ शुक्ला द्वितीय अष्टमी को घोड़ों का चौक, जोधपुर में समाधिमरण को प्राप्त किया। • महासती श्री शान्तिकंवर जी म.सा. ___ शान्तस्वभावी महासती श्री शान्तिकंवरजी म.सा. का जन्म जोधपुर जिलान्तर्गत भोपालगढ़ तहसील के बड़ा | अरटिया ग्राम में श्रीमान् सिरेमल जी कर्णावट एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती भंवरबाईजी की आत्मजा के रूप में हुआ।
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