Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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पंचम खण्ड : परिशिष्ट
८३३
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* महासती श्री नित्यवतीजी म.स
व्याख्यात्री महासती श्री नि:शल्यवती जी म.सा. का जन्म जोधपुर में वि.सं. २०१६ आसोज कृष्णा त्रयोदशी १ अक्टूबर १९५९ को हुआ। आपके पिता धर्मनिष्ठ सुश्रावक श्री भँवरलालजी सुराणा थे तथा माता श्रीमती किरणदेवीजी हैं।
आपने २५ वर्ष की युवावय में वि.सं. २०४१ चैत्र शुक्ला षष्ठी शनिवार ७ अप्रेल १९८४ को महासती श्री सायरकंवरजी म.सा. की निश्रा में नागौर में भागवती दीक्षा अंगीकार की।
आपने थोकड़ों एवं अनेक शास्त्रों का अच्छा अध्ययन किया। आपके प्रवचन सरल एवं प्रभावशाली होते हैं।! अभी आपने मसूदा एवं जरखोदा में दो नवदीक्षिता साध्वियों के साथ अत्यन्त सफल चातुर्मास किया है। इसके पूर्व आपके लगभग सभी चातुर्मास गुरुणीजी के साथ सम्पन्न हुए। • महासती श्री सुश्री प्रभाजी म.सा.
आपका जन्म खाराबेरा (जोधपुर) में वि.सं. २०२३ आसोज शुक्ला नवमी १५ अक्टूबर १९६६ को हुआ।|| आपके पिता श्रीमान् भंवरलालजी चौपड़ा एवं माता श्रीमती बिदामकंवरजी हैं। ___ आपने १८ वर्ष की आयु में वि.सं. २०४१ मार्गशीर्ष शुक्ला षष्ठी बुधवार २८ नवम्बर १९८४ को जोधपुर में प्रवर्तिनी महासती श्री बदनकंवरजी म.सा. की निश्रा में भागवती दीक्षा अंगीकार की।
दीक्षित होकर आपने अनेक थोकड़े एवं शास्त्रों का अभ्यास किया। आपके प्रवचन सरल एवं प्रभावी होते हैं। आप अपने अध्ययन को आगे बढ़ाने में निरन्तर सन्नद्ध हैं। 1. महासती श्री विनयप्रभाजी म.सा.
आपका जन्म मद्रास (चेन्नई) में वि.सं. २०१९ मार्गशीर्ष कृष्णा तृतीया-बुधवार १४ नवम्बर १९६२ को हुआ।| आपके पिता धर्मनिष्ठ सुश्रावक श्रीमान् रिखबचन्दजी कांकरिया का स्वर्गवास हो गया है तथा माता सुश्राविका श्रीमती पिस्ताकंवरजी ने १२ मई २००३ को पुणे में जैन भागवती दीक्षा अंगीकार की है।
आपने २२ वर्ष की युवावस्था में वि.सं. २०४१ माघ शुक्ला दशमी को जोधपुर में विदुषी महासती श्री सुशीलाकंवरजी म.सा. की निश्रा में भागवती दीक्षा अंगीकार की।
दीक्षित होकर आपने अनेक थोकड़े, शास्त्र व संस्कृत भाषा का अच्छा अध्ययन किया। आप मधुर-भाषी एवं सेवाभावी महासती हैं। • महासती श्री इन्द्राप्रभाजी म.सा.
___आपका जन्म भनोखर (अलवर) में वि.सं. २०२१ श्रावण कृष्णा एकादशी ४ अगस्त १९६४ को हुआ। आपके पिता सुश्रावक श्री रतनलालजी जैन तथा माता श्रीमती सूरजदेवीजी थीं।।
__ आपने २० वर्ष की युवावस्था में वि.सं. २०४१ माघ शुक्ला दशमी को जोधपुर में विदुषी महासती श्री सुशीलाकंवरजी म.सा. की निश्रा में भागवती दीक्षा अंगीकार की। दीक्षित होकर आपने अनेक थोकड़ों एवं शास्त्रों का अभ्यास किया। आप शान्त-स्वभावी एवं सेवाभावी महासती हैं।