Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh

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Page 891
________________ पंचम खण्ड : परिशिष्ट ८२१ दिया, पर आपके उत्कट आत्मिक गुणों के आगे भक्त जन सहज ही झुक जाते। आप प्रारम्भ से ही निर्भीक व अनुशासनप्रिय थीं । गाँव-गाँव नगर-नगर में पाद-विहार कर आपने जिनवाणी का प्रचार-प्रसार किया। प्रपञ्चों से आप बिल्कुल विरक्त रहीं। पूज्या प्रवर्तिनी महासती जी श्री सुन्दरकंवर जी म.सा. के महाप्रयाण के अनन्तर आपके दीक्षा दिवस १ फरवरी । १९८६ को परमपूज्य आचार्य भगवन्त ने आपको 'प्रवर्तिनी' पद प्रदान किया। सरल, सौम्य, अनुशासनप्रिय महासती जी म.सा. ने साध्वी प्रमुखा एवं प्रवर्तिनी के इस प्रतिष्ठित दायित्व का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। गांभीर्य, धैर्य, वात्सल्य, सरलता जैसे अनेक गुणों की धनी महासती जी के आनन पर सदा प्रसन्नता छाई रहती व अपनी । आत्मीयता से आप सभी को प्रभावित करती। आपका जीवन स्फटिक सा स्वच्छ निर्मल था। उपालम्भ देना आपके स्वभाव में ही नहीं था। लाग लपेट से आप कोसों दूर थीं। शारीरिक अस्वस्थता के कारण पिछले कई वर्ष आपका जोधपुर स्थिरवास विराजना हुआ। ८५ वर्ष की आयु में परमपूज्य आचार्य श्री हीराचन्द जी म.सा. के मुखारविन्द से आश्विन कृष्णा पंचमी रविवार दिनांक २५ सितम्बर ८४ की अपराह्न आपने तिविहार संथारा व २६ सितम्बर ९४ की प्रातः आचार्यप्रवर से जीवनपर्यन्त चौविहार संथारा के प्रत्याख्यान कर अपने अन्तिम मनोरथ को सिद्ध करते हुए उसी दिन इस नश्वर देह का समाधिपूर्वक त्याग कर देवलोकगमन किया। • महासती श्री हरकंवरजी म.सा. (छोटे) आपका जन्म किशनगढ़ में वि.सं.१९५१ आषाढ शुक्ला चतुर्दशी को हुआ। आप श्री समरथमलजी नाहर की सुपुत्री थीं। आपके पति श्रीमान् तेजकवंरजी बोहरा का आकस्मिक निधन हो जाने से आप संसार से विरक्त हो गयीं। आपने वि.सं.१९९३ भाद्रपद शुक्ला पंचमी को अजमेर में महासती श्री धनकंवरजी म.सा(बड़े) की निश्रा में भागवती दीक्षा अंगीकार की। २५ वर्षों का संयमनिष्ठ जीवन जीने के अनन्तर वि.सं.२०१८ श्रावण कृष्णा त्रयोदशी को किशनगढ में आपने | समाधि-मरण को प्राप्त किया। • महासती श्री अमरकंवरजी म.सा. (छोटे) आपका जन्म किशनगढ़ में वि.सं. १९६० माघ शुक्ला चतुर्थी को हुआ। आपके पिता श्री हीरालालजी बोहरा तथा माता श्रीमती धापूबाईजी थीं। आपके पति श्री मगराजजी बड़मेचा का आकस्मिक निधन हो जाने से आपको संसार से विरक्ति हो गयी। आपने वि.सं. १९९३ माघ शुक्ला त्रयोदशी को किशनगढ में महासती श्री राधाजी म.सा. की निश्रा में भागवती दीक्षा अंगीकार की। ___वि.सं. २०१५ फाल्गुन शुक्ला षष्ठी को ब्यावर में आपका स्वर्गवास हो गया। आपने २२ वर्ष तक निरतिचार संयम का पालन किया। • महासती श्री फूलकंवरजी म.सा. आपका जन्म बारणी (जोधपुर) में वि.सं. १९६३ भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी को हुआ। आपके पिता श्री भीकमचन्दजी भण्डारी तथा माता श्रीमती सिरेकंवरजी थीं। आपका विवाह जोधपुर के श्री पृथ्वीराजजी भंसाली के साथ हुआ। गृहस्थ अवस्था में आपकी धार्मिक रुचि बहुत अच्छी थी, अत: आपने अपने पति की आज्ञा लेकर वि.सं.

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