Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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प्रथम खण्ड : जीवनी खण्ड
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आशातीत वृद्धि हुई। परमाराध्य पूज्य आचार्य गुरुदेव नित्यप्रति प्रवचन में पधार कर भावुक भक्तों को मांगलिक व दर्शनलाभ से परितृप्त करते रहे।
बहिनों एवं युवा बंधुओं को संगठित व गतिशील करने हेतु 'जैन रत्न रूपा सती बालिका मंडल' व 'श्री जैन | रत्न युवक परिषद्' की शाखा का गठन हुआ। षट्काय प्रतिपाल करुणाकर गुरुदेव की पावन प्रेरणा एवं स्थानीय नगर परिषद् के धर्मनिष्ठ अध्यक्ष श्री मांगीलाल जी गांधी के प्रयासों से १८ से २५ अगस्त तक पर्वाधिराज पर्युषण के मंगलमय प्रसंग पर नगर के सभी कसाईखाने व मांस-विक्रय की दुकानें बन्द रहीं।।
१६ से २० सितम्बर तक आयोजित साधना शिविर में १५ साधकों ने भाग लिया। साधना के शिखर पुरुष | पूज्य आचार्य हस्ती के मार्ग-दर्शन व दिशा-निर्देश से साधकों ने अपने आध्यात्मिक जीवन-विकास को नई गति प्रदान की।
बालकों में धार्मिक एवं नैतिक संस्कारों के वपन हेतु जैन धार्मिक पाठशाला का संचालन हुआ, जिसका लक्ष्य था – बालकों में 'अतिजात' बनने की योग्यता का विकास । संचालकों का प्रयास रहा कि ये बालक आगे चल कर माता-पिता एवं पूज्य धर्म गुरुओं से प्राप्त नैतिक-आध्यात्मिक संस्कारों को निरन्तर वृद्धिगत कर सदाचारमय जीवन शैली अपनाकर परिवार , संघ व समाज का यश वर्द्धन करने में सक्षम बनें । महासती मंडल के सान्निध्य में ७०-८० बालिकाओं व कई बहिनों ने नियमित शिविर-व्यवस्था के रूप में नियमित समय पर ज्ञानाभ्यास का लाभ लिया।
२२ से २९ सितम्बर तक बालिकाओं व महिलाओं का धार्मिक-शिक्षण शिविर व २६ से ३० दिसम्बर तक पंचदिवसीय स्वाध्याय-शिविर का आयोजन हुआ, जिसमें मारवाड़, मेवाड़, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश आदि विभिन्न प्रान्तों के स्वाध्यायी भाई-बहिनों ने भाग लिया। दिनांक १ से ३ अक्टूबर १९९० तक त्रिदिवसीय विद्वत् गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन प्रो. कल्याणमलजी लोढा, पूर्व कुलपति जोधपुर विश्वविद्यालय ने किया। 'युवा पीढी और अहिंसा' विषय पर आयोजित संगोष्ठी इस मन्थन के साथ सम्पन्न हुई कि युवक अपनी शक्ति का उपयोग रचनात्मक कार्यों में करें। परम पूज्य आचार्य भगवन्त ने विद्वानों को प्रेरणा दी कि वे अहिंसा को आचरण में | लाकर जीवन में सादगी अपना कर समाज का मार्गदर्शन करें।
चातुर्मास में जोधपुर, जयपुर, अजमेर, ब्यावर, पीपाड़, उदयपुर, बालोतरा, टोंक, भोपालगढ़, सवाई माधोपुर, मेड़ता सिटी, सादड़ी, किशनगढ, आसीन्द, अलीगढ-रामपुरा, मद्रास, बैंगलोर, एदलाबाद, धार, रतलाम, कलकत्ता, दिल्ली, बम्बई, रायचूर, कोयम्बटूर , इन्दौर, जलगांव, अहमदाबाद, कानपुर प्रभृति अनेक क्षेत्रों के संघों व श्रावक-श्राविकाओं का परमपूज्य आचार्य भगवन्त व पूज्य संत-सतीवृन्द के पावन दर्शन, वन्दन, प्रवचन-श्रवण एवं सान्निध्य लाभ हेतु आवागमन बराबर बना रहा। पाली श्री संघ ने स्वधर्मी भाइयों के वात्सल्य व सेवा का सराहनीय | लाभ लिया।
इस प्रकार युग मनीषी आचार्य पूज्य हस्ती का यह पाली चातुर्मास सेवा, वात्सल्य, तप-त्याग व ज्ञानाराधन के साथ सम्पन्न हुआ। • ८१ वाँ जन्म - दिवस
चातुर्मास के अनन्तर पूज्यपाद सुराणा मार्केट से ग्रीन पार्क पधारे । स्वास्थ्य के कारण से आपका यहाँ काफी || समय तक विराजना हुआ। यहां निरन्तर धर्म-गंगा के प्रवाह से पालीवासी भाई-बहिन लाभान्वित होते रहे। प्रार्थना,