Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
View full book text
________________
५९२
नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं विस्तार से प्रकाश डाला।
कहाँ तक लिखें, गुरुदेव की अनुकंपा का वर्णन शब्दों में नहीं हो सकता। आज भी उसी आलोक पंज के प्रकाश में जीवन का शेष भाग स्वाध्याय के सहारे सुख-दुःख-समभाव में व्यतीत हो, ऐसी प्रार्थना के साथ विरमता
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो। न जाने जिन्दगी की किस, गली में शाम हो जाए।
मार्च, १९९८
• डी-१२१, शास्त्रीनगर, जोधपुर