Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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सवाईमाधोपुर क्षेत्र में कायाकल्प
. श्री चांदमल बोधग विक्रम संवत् २०३१ का प्रसंग है। परम पूज्य आचार्यप्रवर १००८ श्री हस्तीमलजी महाराज साहब चातुर्मास काल के प्रारंभ होने से पूर्व अपने विद्वान मुनि-मण्डल के साथ कोटा विराज रहे थे। धर्म-ध्यान,तपस्या आदि के ठाठ लग रहे थे। बाहर से अनेक श्रावक-संघ चातुर्मास की विनति हेतु पधार रहे थे। कोटा श्री संघ ने भी उस वर्ष का चातुर्मास कोटा को प्रदान करने की अत्यन्त आग्रहपूर्ण विनति की थी। प्रतिदिन व्याख्यान समाप्ति पर यह क्रम चलता था। किन्तु हम कोटा के श्रावकगण अपनी विनति भी प्रतिदिन दोहराते रहते थे और हमें पूर्ण आशा थी स्वीकृति की। तभी सवाईमाधोपुर श्री संघ भी चातुर्मास की विनति लेकर उपस्थित हुआ और आचार्यप्रवर की सेवा में अत्यन्त भावपूर्ण विनति की। तब तक वहां स्थानक आदि की भी पर्याप्त सुविधा नहीं थी। उस समय तक प्रमुख जैन संतों का विहार भी उधर कम ही हुआ था, परन्तु सवाईमाधोपुर श्री संघ के पधारने के पश्चात् आचार्य श्री के मुखारविन्द से इस वर्ष का चातुर्मास सवाईमाधोपुर को प्रदान करने की स्वीकृति सुनकर कोटा श्री संघ स्तब्ध रह गया। किन्तु यह भी एक सिद्ध तथ्य है कि आचार्यप्रवर का सं. २०३१ का यह चातुर्मास इस संपूर्ण क्षेत्र के लिए वरदान सदृश सफल रहा। इस चातुर्मास ने इस पूरे क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया। इस चातुर्मास में जहाँ शहर के बस स्टेण्ड पर स्थित बंसल भवन में सन्त-मण्डल ठहरा था तथा भवन के बाहर पाटों पर त्रिपाल के नीचे व्याख्यान की व्यवस्था थी। आज वही क्षेत्र भारत भर के अग्रणी धार्मिक क्षेत्रों में अपना स्थान बना चुका है। वहाँ के अनेक स्वनाम धन्य स्वाध्यायी बन्ध प्रतिवर्ष दरस्थ क्षेत्रों में पधार कर धर्मोद्योत कर रहे हैं। वहां एक सर्व स स्थानक भवन का निर्माण हो चुका है और वहाँ के श्रावकगण अपने क्रिया कलापों द्वारा हम सबके आदरणीय बन चुके हैं।
यह घटना इस बात का प्रबल प्रमाण है कि हमारे आचार्यप्रवर एक भविष्य द्रष्टा थे और उन्हीं के पावन सान्निध्य का यह प्रतिफल है कि सवाईमाधोपुर के सम्पूर्ण क्षेत्र में एक सफल धार्मिक क्रान्ति का प्रकाश फैल गया |
ऐसे भविष्य-द्रष्टा को शत शत नमन ।
-कोटा साडी केन्द्र ढढ्ढा मार्केट, जयपुर