Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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(तृतीय खण्ड : व्यक्तित्व खण्ड
६१९ होगा। इन पांच बोलों का योग निमाज में मिला।
आपकी यादें - स्मृतियाँ ज्यों की त्यों हैं, पर गुरुदेव अब देह से हमारे बीच नहीं है। अध्यात्म-लोक की इस दिव्य विभूति की सदियों तक सुगन्ध व्याप्त रहेगी
तू नहीं तेरी उल्फत हर किसी के दिल में है। शमा तो बुझ चुकी रोशनी महफिल में है।
उखलाना, पो. अलीगढ, जिला टोक (राज.)