Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं अतिरिक्त चारित्रिक गुणों की प्रंशसा करते हुए हृदयोद्गार अभिव्यक्त किए। इस चातुर्मास के समय लाल भवन में अनन्य गुरु भक्त लाल हाथी वाले श्रेष्ठी श्री केसरीमल जी कोठारी के कर कमलों से पुस्तकालय का उद्घाटन सम्पन्न हुआ। • मुख्यमंत्री द्वारा प्रवचन श्रवण
चातुर्मास के अनन्तर आदर्शनगर, हीराबाग आदि स्थानों पर प्रवचनामृत का पान कराने के पश्चात् १७ नवम्बर ५४ को गुलाब निवास में आपका अहिंसा विषयक विशिष्ट प्रवचन हुआ, जिसके श्रवण हेतु राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया एवं अन्य मंत्रीगण भी उपस्थित हुए। चरितनायक ने प्रवचन में फरमाया कि अहिंसा केवल साधुओं अथवा धर्मनिष्ठ श्रावकों के लिए ही नहीं, अपितु मानवमात्र के द्वारा आचरणीय है। आचार्य प्रवर ने | फरमाया कि विश्व का कल्याण एक मात्र अहिंसा के सिद्धान्तों की परिपालना से ही हो सकता है। अहिंसा के दो रूप हैं – एक रूप तो यह कि किसी को कष्ट नहीं देना। दूसरा रूप यह कि तन, मन एवं वचन से यथा शक्ति दूसरे को कष्ट से बचाने का पूरा प्रयास करना । प्रत्येक मनुष्य का यह नैतिक कर्तव्य है कि वह यथासम्भव अपनी दिनचर्या में दोनों प्रकार की अहिंसा को अधिकाधिक स्थान दे। २८ नवम्बर ५४ को आरवी. दुर्लभ जी एमरेल्ड हाउस में शिक्षा प्रणाली पर आयोजित प्रवचन के समय राजस्थान सरकार के मंत्री श्री रामकिशोर जी व्यास, आयुक्त श्री भगवतसिंह जी आदि अनेक गणमान्य अधिकारी उपस्थित हुए। चरितनायक ने फरमाया कि शिक्षा का उद्देश्य मात्र आजीविका नहीं, अपितु जीवन निर्माण भी है। आधुनिक शिक्षा में संस्कार-निर्माण पर ध्यान नहीं है, जिसकी महती आवश्यकता
• डिग्गी, मालपुरा होकर किशनगढ
२९ नवम्बर १९५४ को चरितनायक पं.मुनि श्री लक्ष्मीचन्दजी महाराज, माणकमुनिजी और रतनमुनिजी महाराज के साथ सांगानेर पधारे। यहाँ पर संघ की सुदृढता हेतु प्रेरणाप्रद प्रवचन हुआ, श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाओं ने यथाशक्ति संघ-ऐक्य के लिए संकल्प किया। सांगानेर से डिग्गी मालपुरा होते हुए आप किशनगढ पधारे । कतिपय | दिन यहाँ भव्य-जनों की ज्ञान-पिपासा शान्त करते हुए अजमेर पधारे। यहां पर स्थविरा महासती श्री छोगाजी म.सा.
की भावना, उनकी शारीरिक स्थिति एवं अजमेर संघ की आग्रह भरी विनति को ध्यान में रखकर चरितनायक ने साधुभाषा में संवत् २०१२ के चातुर्मास की स्वीकृति फरमा दी।
अजमेर चातुर्मास के पूर्व चरितनायक मसूदा में स्वामीजी श्री पन्नालाल जी म.सा, प्रधानमंत्री श्री आनंद ऋषि जी म.सा, मुनि श्री मोतीलाल जी, मुनि श्री चम्पालाल जी, कवि श्री अमरचन्द जी म.सा. से मिले तथा भीनासर में होने वाले साधु-सम्मेलन के सम्बंध में गहन विचार-विमर्श किया। चरितनायक वहाँ से विजयनगर, धनोप, सरवाड़ केकड़ी आदि ग्राम-नगरों को पावन करते हुए भीलवाड़ा पधारे, जहाँ अक्षय तृतीया का पर्व हर्षोल्लास एवं तप-त्याग पूर्वक मनाया गया। भीलवाडा से विहार कर चातुर्मासार्थ अजमेर पधारे तथा केशरीसिंहजी की हवेली में आपका सन्त - मण्डल के साथ भव्य प्रवेश हुआ। • अजमेर चातुर्मास (संवत् २०१२)
अजमेर चातुर्मास में चरितनायक एवं सन्तमंडल के साथ प्रधानमंत्री श्री आनंद ऋषिजी म.सा. के दो शिष्य