Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं १४६ भक्तों की उपस्थिति व व्रताराधन से शेखेकाल में ही चातुर्मास सा दृश्य उपस्थित हो गया। पाली से विहार कर आप जाडन, सोजत सिटी आदि क्षेत्रों में धर्मोद्योत करते हुए सांडिया पधारे, जहां आपने हनुमानजी की तिबारी में रात्रिवास | किया। यहां से पूज्यप्रवर चण्डावल, करमावास, कुशालपुरा फरसते हुए निमाज पधारे।
महापरुषों के सान्निध्य में आने वाला व्यक्ति सहज ही आधि-व्याधि व कष्टों से मुक्त हो जाता है। आपके जीवन में ऐसे अनेक प्रसंग आये कि भयंकर से भयंकर प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति सहज ही आपके दर्शन कर मुक्त हो गये। यहां भी एक भाई प्रेत बाधा से मुक्त हुआ। यहां से महेसिया, गिरी, बूंटीवास, रास, सेवरिया होते हुए पीसांगण पधारने पर आपकी प्रेरणा से समाज का झगड़ा मिट गया। पूज्यश्री ने फरमाया-“कोई किसी को बुलावे या कोई जावे तो रोक-टोक नहीं होनी चाहिए। अर्हन्त की साक्षी से आज तक की सब गलतियों को भूलकर परस्पर क्षमा प्रदान करें तो सब एक हो सकते हैं।"
गोविन्दगढ़, पुष्कर, अजमेर, डीडवाडा, दूदू, गाडोता, बगरू होते हुए माघ कृष्णा ११ को आपने जय-जयकारों की ध्वनियों के साथ जयपुर के लाल भवन में प्रवेश किया। यहाँ पंजाब से आ रहे मंत्री श्री प्रेमचन्द जी म.सा, पं.फूलचन्द जी म.सा. आदि सन्तों के सम्मुख संतगण गए और सब संत साथ ही विराजे । १६ सन्तों को एक साथ विराजे देख संघ ने हर्ष की अनुभूति की। मुनि श्री प्रेमचन्द जी म. ने चरितनायक से पंजाब की समस्या और संघ सम्बंधी वार्तालाप किया।
माघ शुक्ला २ वि.सं. २०२० दिनांक १६ जनवरी १९६४ को विरक्ता तेजकंवर जी (सुपुत्री सेठ |श्री उमराव मल जी) जयपुर की आतिश मार्केट में सविधि दीक्षा सम्पन्न हुई। दो विदेशी व्यक्ति एवं जयपुर की महारानी गायत्री देवी भी इस समारोह में सम्मिलित हुई। जर्मनी के युवक-युवतियों की जिज्ञासाओं का पूज्यप्रवर ने लाल भवन में समाधान करते हुए मांसाहार एवं शाकाहार का सही तात्पर्य बताया। फाल्गुन कृष्णा एकम बुधवार को कवि श्री अमरमुनि जी पधारे, जिनके साथ चर्चा में श्रमण-संघ की स्थिति की समीक्षा की गई। ____ जयपुर के उपनगरों को फरस कर आप गाडोता पधारे। वहाँ महादेव जी पटेल ने आपकी प्रेरणा से आजीवन शीलव्रत अंगीकार किया। विविध ग्रामों को अपनी पद रज से पवित्र करते हुए आप अजमेर पधारे। • शिखर सम्मेलन (अजमेर)
यहाँ अधिकारी मुनियों का शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें अनेक मुद्दों पर विचार किया गया। आचार्यश्री आत्माराम जी म.सा. के स्वर्गस्थ हो जाने के पश्चात् आचार्य का पद रिक्त था। इस सम्मेलन में उपाध्याय श्री आनंद ऋषि जी म.सा. को श्रमण संघ का आचार्य मनोनीत किया गया। फाल्गुन शुक्ला एकादशी रविवार को उन्हें अजमेर में ही समारोह पूर्वक आचार्य पद की चादर ओढ़ायी गई।
चरितनायक का यहाँ प्रवर्तक श्री पन्नालाल जी म.सा. और अन्य विराजित सन्तों के साथ संघ विषयक विचार-विमर्श हुआ। ध्वनियंत्र प्रयोग सम्बंधी विचार भी हुआ जिसमें सभी ने इसका निषेध किया। ____ तबीजी, जेठाणा, खरवा होते हुए आप ब्यावर पधारे । यहाँ आपका प्रवर्तक श्री मिश्रीमलजी म. मधुकर से मधुर मिलन हुआ तथा महासती जी श्री जसकंवर जी ने भी आपकी सेवा व सान्निध्य का लाभ लिया। द्वितीय चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को महावीर जयन्ती पर आपने अस्वस्थ होते हए भी प्रवचन में फरमाया – “जयन्ती के विविध बाहरी रूप तो आप प्रस्तुत करते हो। हमें उसके अन्तररूप का भी विचार करना चाहिए। महावीर ने बोलने के पहले