Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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प्रथम खण्ड : जीवनी खण्ड
२२३ प्रभाव था।
____ अलसूर में दीक्षार्थी विरक्तों का अभिनन्दन किया गया। यहां श्री माणकचन्दजी गादिया ने पांच वर्ष के लिये शीलवत पालन का संकल्प लिया। यहां से पूज्यप्रवर अशोक नगर शूले पधारे, जहां श्री चम्पालालजी बोरूंदिया ने आजीवन शीलव्रत का स्कन्ध स्वीकार किया। आपके शिवाजी नगर पधारने पर प्रख्यात जैन विद्वान श्री शान्तिलालजी वनमाली सेठ ने आपके पावन दर्शन, सान्निध्य व तत्त्वचर्चा का लाभ लिया।
बैंगलोर महानगर के हृदयस्थल चिकपेट में आपका दर्शनाचार के आठ अंगों पर बड़ा ही मार्मिक प्रवचन हुआ। माघ कृष्णा चतुर्दशी ३ फरवरी १९८१ को पूज्यप्रवर के सान्निध्य में बाबाजी श्री सुजानमलजी म.सा. व खादीवाले श्री गणेशीलालजी म.सा. की पुण्यतिथि विशेष तपत्याग व व्रताराधन पूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर यहां विरक्त मुमुक्षुओं का अभिनन्दन भी किया गया। __मद्रास पधारने के पूर्व पूज्यपाद के बैंगलोर पदार्पण के अवसर पर महासंघ अध्यक्ष श्री फूलचन्दजी लूणिया व चिकपेट सिटी संघ अध्यक्ष श्री भंवरलालजी गोटावत ने धर्मस्थानक में २०० व्यक्ति नियमित सामायिक साधना वाले होने तक मिठाई त्याग का जो संकल्प लिया था, वह पूर्ण हो गया था। आचार्य हस्ती का सामायिक-स्वाध्याय का पावन सन्देश अब बैंगलोर महानगर के कोने-कोने में पहुँच चुका था। बैंगलोर के प्रत्येक उपनगर के स्थानक नियमित धर्म-साधना के केन्द्र के रूप में सुशोभित हो रहे थे। जहां- जहां चरितनायक का पदार्पण हुआ, वहां धर्माचरण का वातावरण निर्मित हुआ। पूर्व में जिन धर्मस्थानकों के कपाट यदा-कदा ही खुलते, वहां नियमित सामायिक-साधना व जिनवाणी के पावन उद्घोष की ध्वनियाँ गुञ्जित होने लगीं।
यहां के उपनगर जयनगर में ९ फरवरी १९८१ को श्री प्रकाशमलजी भंडारी, जोधपुर श्री धनञ्जय जी चोरडिया शिरपुर, कावेरी पट्टनम् निवासी श्री गुरुमूर्ति एवं श्री जम्बू जी ने पूज्यपाद से श्रमण दीक्षा अंगीकार की। इनके साथ ही पंजाब सिंहनी महासती श्री केसरदेवी जी म.सा. की निश्रा में मुमुक्षु बहिन विजया देवी बैंगलोर ने भी पूज्यपाद के मुखारविन्द से भागवती दीक्षा अंगीकार की। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति श्री बासप्पा दानप्पा जत्ती एवं कर्नाटक के तत्कालीन राज्यपाल श्री गोविन्द नारायणसिंह राग से विराग, भोग से योग एवं असंयम से संयम की ओर बढ़ते मुमुक्षुजनों के पुरुषार्थ से दीक्षा समारोह में अभिव्यक्त वैराग्य से एवं संयम के गौरव व संयमनिष्ठ तप: पूत ज्ञान-क्रिया के संगम युग मनीषी पूज्य आचार्य देव की दिव्य विभूति से अभिभूत थे।
दीक्षा समारोह के अनन्तर पूज्यपाद ठाणा १४ से लालबाग में स्व. श्री हंसराज चन्दजी भंडारी के बंगले | विराजे। यहां श्रेष्ठिवर्य श्री छगनमलजी मूथा व सरलमना गुरुभक्त श्री मोतीलालजी सांखला ने बडी दीक्षा अशोक नगर शूले में करने की आग्रह पूर्ण विनति प्रस्तुत की। उनके आग्रह व भक्ति को मान देते हुए पूज्य आचार्य भगवन्त के सान्निध्य में दिनांक १६ फरवरी को नवदीक्षित सन्तों की बड़ी दीक्षा अशोक नगर शूले में सम्पन्न हुई। इस अवसर पर महानगर संघ अध्यक्ष श्री फूलचन्दजी लूणिया व श्री कन्हैयालालजी सिंघवी, चिकपेट ने सजोड़े आजीवन शीलवत अंगीकार कर संयम-साधकों का अनुमोदन किया, ४० श्राविकाओं ने दयाव्रत आराधन व कई| व्यक्तियों ने पौषधोपवास का लाभ लिया। इस अवसर पर कावेरी पट्टनम के १८ तमिल भाइयों ने जन-जन | कल्याणकारी जैन धर्म स्वीकार कर अपने आपको पावन बनाया।
__ कुमारा पार्क, मल्लेश्वरम् आदि उपनगरों को फरसते हुए पूज्यप्रवर यशवन्तपुरा पधारे व सुज्ञश्रावक श्री सुगनमलजी गणेशमलजी भंडारी के निवास पर विराजे। यहां श्री गोविन्दस्वामी जी ने सदार आजीवन शीलव्रत