Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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नमो पुरिसवरगंधहत्थीणं २७० दी। यहां १ से ५ अक्टूबर तक ध्यान साधना शिविर आयोजित हुआ, श्री महावीर रत्न कल्याण कोष की स्थापना हुई। १ नवम्बर ८८ को आचार्यप्रवर की वयोवृद्ध शिष्या महासती श्री सुगनकंवरजी म.सा. का ७९ वर्ष की अवस्था में मेडतासिटी में संथारापूर्वक स्वर्गवास होने पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। चातुर्मास में बैंगलोर, मद्रास, जयपुर जोधपुर हैदराबाद, नागौर, अजमेर, भरतपुर, मेड़ता, कोटा, दिल्ली, अहमदाबाद एवं पोरवाल पल्लीवाल क्षेत्र के अनेक स्थानों से दर्शनार्थी बन्धुओं का आवागमन विशेष रूप से बना रहा। चातुर्मास में श्री रामदयाल जी जैन सर्राफ, श्री राधेश्याम जी गोटेवाला, श्री बजरंग लाल जी सर्राफ, श्री नरेन्द्र मोहनजी आदि श्रावकों सहित समस्त श्रावक-श्राविकावृन्द ने भक्तिभाव व संघ-सेवा का आदर्श प्रस्तुत किया।
वर्षावास की समाप्ति के पश्चात् आप मार्गशीर्ष कृष्णा एकम २४ नवम्बर को विहार कर आलनपुर पधारे । विहार का दृश्य अद्भुत था। लगभग पाँच हजार श्रावक-श्राविकाओं के जयनाद से गगन गूंज उठा। सभी के हृदय श्रद्धा से परिपूरित थे। आलनपुर में अनेक ग्राम-नगरों के श्रावक-मण्डलों ने क्षेत्र स्पर्शन की विनतियाँ प्रस्तुत की। श्री रामप्रसादजी बाबई, श्री जीतमलजी करेला वाले, श्री लड्डुलालजी चौधरी, श्री कल्याणजी माली ने आजीवन शीलव्रत व कतिपय युवकों ने दो वर्ष एवं एक वर्ष शीलव्रत-पालन का नियम स्वीकार कर अपना जीवन शील सौरभ से सुरभित करते हुए गुरु चरणों में सच्ची श्रद्धा समर्पित की। • अलीगढ-रामपुरा, देई होकर कोटा
आलनपुर से बजरिया पधारने पर पूज्य चरितनायक ने नवयुवकों एवं स्वाध्यायियों को शासन सेवा व स्वाध्याय की विशेष प्रेरणा दी। श्री सोभागमल जी, श्रीगणपतजी, श्री राजमलजी आदि ने यथाशक्ति एक - दो वर्ष के शीलव्रत का नियम लिया। ४ दिसम्बर को सामूहिक दयाव्रत का आयोजन हुआ। आदर्शनगर होते हुए आप करेला ग्राम पधारे, जहाँ ग्रामीणों ने मांस, मदिरा, बीड़ी, सिगरेट के त्याग हेतु नियम लिये।
करुणाकर गुरुदेव ने गम्भीरा ग्राम में प्राथमिक शाला के छात्र-छात्राओं को कुव्यसन-त्याग का सामूहिक नियम | कराया। आपकी प्रेरणा से कुश्तला में बालकों के लिए धार्मिक पाठशाला प्रारम्भ हुई। बिशनपुरा में फूलचन्दजी को
शीलव्रत के प्रत्याख्यान कराकर पूज्यप्रवर पचाला पधारे, जहाँ ३२ वर्षों से चला आ रहा पारस्परिक विवाद समाप्त हुआ एवं हर्ष की लहर दौड़ गई। यहाँ श्री पूरणमलजी, श्री चिरंजीलालजी, श्री देवीशंकरजी सोनी, श्री प्रतापजी गूजर एवं श्री बसन्तलालजी प्रजापत ने जीवन पर्यन्त ब्रह्मचर्यव्रत का नियम ग्रहण कर अपना जीवन शील सौरभ से सुरभित करते हुए गुरु चरणों में अपनी श्रद्धा अभिव्यक्त की। चोरू ग्राम में श्री कल्याणमलजी हलवाई, श्री अनोखचन्दजी जैन, श्री नन्दलालजी अहीर, श्री बजरंगलालजी खवास, श्री देवीलालजी कलाल एवं श्री रामप्रतापजी नायक ने आजीवन शीलव्रत स्वीकार किया। जैनपुरी अलीनगर में श्री मोरपालजी मीणा ने आजीवन शीलव्रत अंगीकार कर अपना जीवन संयमित बनाया। यहाँ पर मीणा, समाज जैनधर्म का पालन करता है। उखलाना ग्राम में भी मीणा समाज का बाहुल्य है, जो भक्तिपूर्वक जैनधर्म का अनुयायी है। श्री किशनजी मीणा एवं श्री बिशनजी | मीणा ने शीलव्रत स्वीकार कर गुरु चरणों में भेंट समर्पित की। ___आप १७ दिसम्बर ८८ को अलीगढ-रामपुरा ग्राम में पधारे, जहाँ बाजार में प्रवचन हुए। उत्कृष्टशील साधक पूज्य गुरुवर्य के पावन सान्निध्य का लाभ लेकर श्री कुंजबिहारी जी शर्मा, श्री धन्नालालजी माथुर, रामदयालजी माथुर व राजमलजी जैन ने आजीवन शीलवत अंगीकार किया। श्री राजमलजी जैन ने सादगी पूर्ण सात्त्विक जीवन शैली के २० नियमों से भी अपना जीवन अलंकृत किया। ३७ युवा स्वाध्यायी सदस्यों ने पर्युषण सेवा का नियम ग्रहण