Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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प्रथम खण्ड : जीवनी खण्ड
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१. लड़के - लड़कियों की शादी पर डोरा (बीटी) , दहेज नहीं मांगेगे। २. प्राणी-हिंसा से निर्मित जूते, चप्पल आदि नहीं पहनेंगे। ३. मद्य-पान नहीं करेंगे। मांस, मछली, अण्डे आदि अभक्ष्य का सेवन नहीं करेंगे। ४. प्रतिवर्ष एक माह का समय धर्म-प्रचार में देंगे। ५. अपनी सामर्थ्य - शक्ति अनुसार स्वधर्मी भाई-बहनों को नौकरी, व्यवसाय, छात्रवृत्ति अथवा सेवा के द्वारा
सहयोग देंगे। ६. साम्प्रदायिक झगडों से दूर रहेंगे, हो सके तो उन्हें शान्त करने, उनका समाधान करने का प्रयत्न करेंगे। ७. धार्मिक परिचय में अपने आपको जैन कहेंगे। ८. माल में मिलावट करके नहीं बेचेंगे। ९. आश्रित नौकर या पशु से प्रेम, स्नेह का व्यवहार करेंगे। १०. चोरी, हत्या जैसे मामलों में सहयोगी नहीं बनेंगे। ११. महावीर जयन्ती के दिन कम से कम आधा दिन व्यवसाय बन्द रखेंगे। १२. अपने गाँव में , गाँव के पास कसाई खाना हो, हिंसा की वृद्धि होती हो तो उसके लिए खुला विरोध
करेंगे। १३. लोगों को शाकाहार के लाभ और मांसाहार के दोष समझाकर मांसाहारियों को निरामिष-भोजी बनाने
___ का प्रयत्न करेंगे। (कम से कम ५० मांसाहारी व्यक्तियों को शाकाहारी बनाने का संकल्प लिया गया ।) अमरचन्दजी म. का स्वर्गवास ___ आषाढ़ कृष्णा ३ रविवार संवत् २०१७ (१२ जून १९६०) को प्रशान्तात्मा स्वामी श्री अमरचन्दजी म.सा. का | स्वर्गवास हो गया। आप भयंकर असह्य वेदना में भी समता बनाए रखकर समाधिमरण को प्राप्त हुए। भोपालगढ के मूल निवासी श्री धनराजजी एवं श्रीमती सुन्दरकंवरजी बच्छावत के सुपुत्र श्री अमरचन्दजी ने १२ वर्ष की वय में पूज्य आचार्यश्री विनयचन्द्रजी म.सा. से वि.सं. १९६७ में माघ शुक्ला दशमी को दीक्षा अंगीकार की। आपको स्वामीजी श्री चन्दनमलजी म.सा. का शिष्य घोषित किया गया। आप उत्कट क्रियावान, चौथे आरे की बानगी, आहार गवेषणा के विशेषज्ञ संत रत्न थे। आपका समूचा जीवन सरलता, वत्सलता व सेवाभाव का अप्रतिम उदाहरण है। | श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मोतीलाल जी गांधी के सुपुत्र श्री हीरालाल जी गांधी (वर्तमान आचार्यप्रवर) ने पाँच वर्षों तक विवाह न करने की प्रतिज्ञा ली तथा जयपुर के श्री उमराव मल जी सेठ की सुपुत्री सुश्री तेजकँवर जी ने भी शील-व्रत अंगीकार किया। अमरचन्द जी म.सा. की पावन स्मृति में जयपुर संघ ने श्री अमर जैन मेडिकल रिलीफ सोसायटी की स्थापना की। लाल भवन के समीप व जैन अस्पताल के रूप में आज भी यह सोसायटी जन-सेवा में संलग्न है। अजमेर चातुर्मास (संवत् २०१७)
अजमेर संघ की आग्रहभरी विनति को ध्यान में रखते हुए आपने चातुर्मास हेतु स्वीकृति प्रदान की तथा |