Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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प्रथम खण्ड : जीवनी खण्ड
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भोपालगढ़ पधारने पर चरितनायक भक्तजनों को चैत्र की अमावस्या के पश्चात् तिल नहीं रखने का नियम दिलाया। श्री जैन रत्न विद्यालय के कार्यकर्ताओं को प्रेरित करते हुए आपने विद्यालय में धार्मिक शिक्षा की सुचारु व्यवस्था तथा बच्चों को धार्मिक व नैतिक संस्कार प्रदान करने पर बल दिया। गुरुदेव ने प्रवचन में फरमाया“छोटा सा दुकानदार लाइन से काम करे तो पाँच-दस वर्ष में तरक्की कर लेता है । फिर साधना में | बीसियों वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी सफलता क्यों नहीं, इसके तीन कारण हैं- चल, मल और विक्षेप । जब तक किसी भी कार्य में स्थिरता न आ जाय सिद्धि नहीं मिलती। इसी प्रकार मल को दूर करना भी आवश्यक है । जब चल और मल दोष दूर हो जायें तब विक्षेप ही बाधक रहता है। इसके लिए सत्पुरुषों ने एकान्त एवं शान्त स्थान में साधना करना अभीष्ट माना है। शरीर के त्रिदोष की तरह साधना के इन दोषों को दूर कर लें तो दिल के दर्पण में आत्मा की शुद्ध छाया दिख सकती है" । पूज्यप्रवर द्वारा महारम्भ को छोड़कर अल्पारम्भ से जीने की शिक्षा दी गई ।
यहाँ कतिपय दिवस ठहरकर चरितनायक रतकूडिया पधारे। रतकूडिया में आपने ग्राम निवासियों को हिंसा से विरत करते हुए फरमाया कि अपने प्राणों के समान ही दूसरे के प्राणों को जानना चाहिए। लोगों को धन प्यारा है, | पुत्र प्यारा है, परन्तु प्राणों के सामने वे भी निर्मूल्य हैं। कहा है
प्रथम तो प्रिय धन सब ही को द्रव्य से लागे सुत नीको ।
पुत्र से वल्लभ न जानो अंग में अधिक नयन मानो । नयन आदि सब इन्द्रियाँ
अधिक पियारा प्राण ।
या कारण कोई मत करो पर प्राणन की हाण |
यहाँ से खांगटा होकर पूज्य प्रवर का कोसाणा पदार्पण हुआ । यहाँ पर वाचस्पति श्री मदनलालजी म.सा. स्वर्गवास के समाचार मिलने पर निर्वाण कायोत्सर्ग किया गया। व्याख्यान बन्द रहा । संवेदना पत्र अमृतसर भेजा | गया । यहाँ पर पूज्य प्रवर ने अपने प्रवचन में फरमाया कि किसी भी समाज की उन्नति के लिए सार-सम्भाल करने वाले प्रचारकों की आवश्यकता है। पूज्यप्रवर के इस सदुपदेश का अनुकूल प्रभाव हुआ और धीरे-धीरे अनेक स्थानों पर ऐसे धर्म प्रचारक तैयार हुए जिन्होंने समाजहित में भी कार्य किया । यहाँ से चरितनायक ने पीपाड़ चातुर्मास हेतु विहार किया।
पीपाड़ चातुर्मास (संवत् २०२०)
वि.स. २०२० के पीपाड़ चातुर्मास में अनेक उपलब्धियाँ हुईं। पर्याप्त त्याग - प्रत्याख्यान हुए। प्रवचन श्रवण के लिए लोग उमड़ पड़े। आपके विविध विषयों पर प्रवचन हुए।
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" आज
उन दिनों सोवियत रूस द्वारा वेलेन्तीना तेरिस्कोवा नामक महिला को अन्तरिक्ष में भेजा गया था । | चरितनायक ने इस सम्बन्ध में ३ जुलाई १९६३ को अपने विचार प्रकट करते हुए व्याख्यान में फरमाया - का युग भौतिक उन्नति का है। रूस आदि राष्ट्रों में मानव को अन्तरिक्ष में भेजने की होड है। विज्ञान