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८२५
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८६०
८६१
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१०
८६३
८६५
८३८
८६६ ८६७ ८६८
८३८ ८३९
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८६९
८७०
विषय-सूची विषय
विषय निर्जरानुप्रेक्षा
८२३ सम्यक्त्वको नष्ट करके मरनेवाले सविपाक निर्जरा सबके होती है ८२४ भवनत्रिकदेव तपसे अविपाक निर्जरा
क्षपककी मरणोत्तर क्रिया (विजहणा) संवरके विना तप कार्यकारी नहीं
२६ निषीधिकाका लक्षण धर्मानुप्रेक्षा
र का स्थान आदि बोधि दुर्लभ अनुप्रेक्षा
मृतकका बन्धन आदि ध्यानके अनेक आलम्बन
८३४ आर्यिकाकी मरणोत्तर विधि शुक्लध्यानके चार भेद
शवके साथ पीछी रखनेका उद्देश पृथक्त्व वितर्क शुक्ल ध्यान
८३५
अमुक नक्षत्र में मरणका फल एकत्व वितर्क शुक्लध्यान तीसरा शुक्लध्यान
मृतकके साथ पुतलेका विधान
मरण पर उपवास आदि चतुर्थ शुक्लध्यान
मृतकके शवकी स्थितिका फलाफल ध्यानकी महिमाका स्तवन
८४०
आराधक क्षपककी स्तुति क्षपककी लेश्याविशुद्धि
८४३
निर्यापककी प्रशंसा परिणामविशुद्धिसे लेश्याविशुद्धि
८४५ अभ्यन्तर शुद्धि होने पर वाह्य शुद्धि अवश्य
क्षपकको देखने जाने जानेवालोंकी प्रशंसा होती है
क्षपक तीर्थस्वरूप है शक्ल लेश्याके उत्कृष्ट अंशसे मरण करने
अविचार भक्त प्रत्याख्यानका स्वरूप वाला उत्कृष्ट आराधक
८४६
और भेद लेश्याके आश्रयसे आराधनाके भेद ८४७ निरुद्ध अविचार भक्त प्रत्याख्यान उत्कृष्ट आराधनासे मुक्ति
८५०
अनिहार , मध्यम आराधनासे अनुत्तरवासी देव ।
निरुद्धतर समाधिकी विधि जघन्य आराधनावाले सौधर्मादि देव होते
अनादि मिथ्यादृष्टिको मोक्षको प्राप्ति . ८५१
इंगिणीमरणकी विधि आराधनासे भ्रष्ट होने वालेका पतन ८५२ प्रायोपगमनको विधि अवसन्न मुनिका आचरण
८५३ दोनों प्रकारके मरणोंमें अन्तर पार्श्वस्थ मुनिका आचरण
८५४ उक्त मरण करनेवालोंके उदाहरण कुशील मुनिके अनेक भेद तथा उनका
वाल पण्डित मरण आचरण
बारह प्रकारका गृहीधर्म संसक्त मुनिका आचरण
८५६ पण्डित पण्डित मरणका स्वरूप क्षपकोंके मरते समय सन्मार्गसे च्युत होनेके ध्यानकी वाह्य सामग्री कारण
८५७ क्षायिक सम्यक्त्वकी प्राप्ति कन्दर्प भावनासे मरनेवाले कन्दर्पदेव ८५९ तदनन्तर क्षपक श्रेणि पर आरोहण अभियोग्य भावनासे मरनेवाले अभियोग्य अपूर्वकरण अनिवृत्तिकरण | जातिके देव
, अनिवृत्ति करणमें प्रकृतियोंका क्षय
८४६
८७१ ८७२ ८७३
८७५
८७६
VVV mmore
८९०
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