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छक्खंडागम
धवलाकारने विभिन्न मान्यताओके अनुसार विभिन्न संख्याओंका उल्लेख करते अन्तमें आचार्य-परम्परासे प्राप्त उपदेशके अनुसार आठ लाख अठ्ठानवें हजार पांच सौ दो ( ८९८५०२ ) बतलाया है। चौदहवें गुणस्थानवी जीवोंका प्रमाण प्रवेशकी अपेक्षा एक, दो, तीनको आदि लेकर एक सौ आठ ( १०८ ) और संचय कालकी अपेक्षा पांच सौ अठ्ठयानवें ( ५९८ ) बतलाया है।
संक्षेपमें गुणस्थानोंकी सर्व जीवराशिका अल्पबहुत्वके रूपसे उपसंहार इस प्रकार जानना चाहिए- ग्यारहवें गुणस्थानवी जीवसे सबसे थोड़े ( संख्यात ) हैं। उनसे बारहवें और चौदहवें गुणस्थानवी जीव संख्यातगुणित अर्थात् दूने हैं। उनसे दोनोंहि श्रेणियोंके आठवें, नववें
और दशवें गुणस्थानवर्ती जीव परस्परमें समान होते हुए भी विशेष अधिक है। उनसे तेरहवें गुणस्थानवी जीव संख्यातगुणित हैं । उनसे सातवें गुणस्थानवी जीव संख्यातगुणित हैं । उनसे छठे गुणस्थानवी जीव संख्यातगुणित अर्थात् दूने हैं। छठे गुणस्थानवी जीवोंसे पांचवें गुणस्थानवाले जीव असंख्यातगुणित हैं। उनसे दूसरे गुणस्थानवाले जीव असंख्यातगुणित हैं। उनसे तीसरे गुणस्थानवाले जीव संख्यात गुणित हैं और उनसे चौथे गुणस्थानवाले जीव असंख्यात गुणित हैं। उनसे सिद्धजीव अनन्तगुणित हैं और सिद्धोंसे मिथ्यादृष्टि जीव अनन्तगुणित हैं। मिथ्यादृष्टि जीवोंसे सर्व जीवराशि कुछ अधिक हैं ।
___ ओघसे अर्थात् गुणस्थानोंकी अपेक्षा जीवोंकी संख्याका निरूपण करनेके बाद सूत्रकारने आदेश अर्थात् चौदह मार्गणास्थानोंकी अपेक्षा जीवोंकी संख्याका निरूपण किया है । मार्गणास्थानोंकी संख्याभी द्रव्य, काल और क्षेत्रकी अपेक्षा बतलाई गई है, सो ऊपर जिस प्रकार काल और क्षेत्र प्रमाणका निरूपण किया गया है, तदनुसारही मार्गणाओंमें बतलाई गई संख्याका यथार्थ अर्थ समझ लेना चाहिए । सूत्रमें जहां पदर या प्रतर शब्द आया हो, वहां उससे जगत्प्रतरका, अंगुल शब्दसे सूच्यंगुलका, सेढी या श्रेणी शब्दसे जगच्छ्रेणीका और लोक शब्दसे घनलोकका अर्थ लेना चाहिए । इसके अतिरिक्त सूत्रोंमें कुछ और भी विशेष संज्ञाएं आई हैं उनका अर्थ इस प्रकार जानना चाहिए
आयाम- किसी क्षेत्रकी लम्बाई । विष्कम्भ- किसी क्षेत्रकी चौड़ाई । विष्कम्भसूची- किसी गोलाकार क्षेत्रके मध्यकी चौड़ाई। वर्ग- किसी विवक्षित संख्याको उसी संख्यासे गुणित करना । जैसे ४ को ४ से गुणित
करनेपर १६ राशि प्राप्त होती है, यह ४ का वर्ग है । वर्गमूल- वर्ग करने की मूल राशि । जैसे १६ का वर्गमूल ४ है । घन- किसी राशिको उसीसे दो वार गुणा करने पर जो राशि प्राप्त हो। जैसे ४ का
घन ( ४ ४ ४ ४ ४ = ) ६४ है ।
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