Book Title: Sutrakrutanga Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
. २
.. : . . सूत्रकृताङ्गसूत्रे अन्वयार्थ:---(रायाणो) राजानः चक्रवर्यादयः (य) च पुनः (रायमच्चा) रानामात्याः मंत्रिपुरोहितप्रभृतयः (माहणा) ब्राह्मणाः (अदुवा) अथवा (खत्तिया) क्षत्रिया: इक्ष्वाकुवंशजभृतयः (साहुजीविणं) साधुजीविन-निरपद्यमिक्षाजीवनशीलम् (भिक्खुयं) भिक्षुकं साधु (भोगेहि) भोगैः शब्दादिविषयभोगैः (निमंतयति) निमन्त्रयन्ति भोगेष्वासक्तिं कारयन्तीत्यर्थः ।।१५।।
टीका-'रायाणो' राजाना चक्रवर्त्यादयः 'रायमचा राजामात्यादयः मन्त्रिपुरोहितसामन्तादयः 'माहणा' ब्राह्मणाः ब्राह्मणत्वजातिमन्तो वेदपारगाः 'अदुवा' अथवा 'खत्तिया' क्षत्रियानाकुवंशजमभृतयः, एते सर्वे राजादियभृतयः, 'भोगेहि' भोगैश्शब्दादिविषयमोगं भोक्तुम् , "निमंतयति' निमन्त्रयन्ति आमन्त्रान्ति भोगं स्वीकारयन्ति । कं निमन्त्रयन्ति-तत्राह-'साहुजीविण' 'लाहुजीविण-साधु जीवितम्' उत्सम आचार से जीवन निर्वाह करनेवाले 'भिक्खुयं-भिक्षुकम्' साधु को 'भोगेहि-भोग' शब्दादि विषयभोगों को भोगने के लिए 'निमंतयंति-निमन्त्रयन्ति' आकर्षित करते हैं ॥१५॥
अन्वयार्थ-राजा, राजमंत्री ब्राह्मग और इक्ष्वाकुवंशीय आदि क्षत्रीय साधु जीवी अर्थात् निरवध भिक्षा से जीवन निर्वाह करने वाले भिक्षु को भोगों के लिए आमंत्रित करते हैं, भोगों में आसक्ति उत्पन्न करते हैं ॥१५॥
टीकार्थ-चक्रवर्ती आदि राजा, राजमंत्री-पुरोहित, सामन्त आदि, ब्राह्मण अर्थात् ब्राह्मणत्व जाति वाले तथा वेद के पारगामी तथा क्षत्रिय अर्थात् इक्ष्वाकुवंशीय आदि, यह सच, शब्द आदि विषयों का उपभोग करने के लिए आमंत्रित करते है । किसे आमंत्रित करते हैं ? साधु जीवी को अर्थात् जो सम्यग् चारित्र का पालन करके जीवित रहना चाहता है। जोविनम्' उत्तम मायारने लवन निर्वाड ४२वावा भिक्खुयं-भिक्षुकम्' साधुने 'भोनेहि-भोगैः' श५४ को३ विषय सामान सेवा माटे निमंतयंतिनिमन्त्र रन्ति' मर्षित रै छ ।१५॥
ટીકાઈ–ચક્રવર્તી આદિ રાજા, રાજમંત્રી, પુરોહિત અને સામન્ત આદિ આગેવાને વેદના પારગામી બ્રાહ્મણે તઘ ઈવાકુ આદિ ઉત્તમ કુળમાં ઉત્પન્ન થયેલા ક્ષત્રિય સાધુ જીવને (કમ્યફ ચારિત્રનું પાલન કરવા માગતા સાધુને સંચમને માર્ગે જ જીવન વ્યતીત કરવા માગતા સાધુને શખડાદિ વિને ઉપભેગ કરવાને માટે આમંત્રિત કરે છે. તેઓ તેને ભેગો પ્રત્યે આકર્ષવાનો