Book Title: Sutrakrutanga Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सूत्रकृताले सूत्र मूलम्-जोहेसु णाए जह वीससेणे,
पुप्फेसु वा जह अरविंद माहु । खेतीण सेटे जैह देतवक्के,
इसीण लेटे" तह वैद्धमाणे ॥२२॥ छाया--योधेषु ज्ञातो यथा विश्वसेन , पुष्पेषु वा यथाऽरविन्दमाहुः।
क्षत्रियाणां श्रेष्ठो यथा दान्तवाक्यः, ऋषीणां श्रेष्ठ स्तथा वर्षमानः ।२२। आन्वयार्थः-(जहा) यथा-(णाए) ज्ञातो जगत्प्रसिद्धः (दीससेणे) विश्वसेनः (जोहेसु) योधेषु श्रेष्ठः (जहा) यथा वा (पुप्फे पु) पुष्पेषु (अरविंदमाहु) अरविन्दम्
'जोहेतु णाए' इत्यादि।
शब्दार्थ-'जहा-यथा जैसे 'णाए-ज्ञातः' जगत् प्रसिद्ध 'वीससेणेविश्वसेनः, विश्वसेन 'जोहेसु-योद्धेषु' योद्धाओं में 'सेतु-श्रेष्ठ' श्रेष्ठ , है 'जहा-यथा' जैसे 'पुप्फेस्लु-पुष्पेषु' पुष्पों में 'अरविंझाहु-अर. विंदम् आहुः कमलको प्रधान कहते हैं 'जहा-यथा' जैसे खत्तीणंक्षत्रियाणां' क्षत्रियों के मध्य में 'दंतवक्के सेठे-दान्तवक्यः श्रेष्ठ' दान्तवाक्य-चक्रवर्ती श्रेष्ठ है 'तह-तथा' इसीप्रकार 'इसीण-ऋषीणां' ऋषियों में 'वद्धमाणे सेटे-बर्द्धमानो श्रेष्ठः' वर्द्धमान महावीर स्वामी ही श्रेष्ठ है ॥२२॥ ___ अन्वयार्थ--जैले योद्धाओं में जगप्रसिद्ध विश्वलेन चक्रवर्ती श्रेष्ठ है जैले पुप्पों में कमलपुष्प प्रधान है अथवा जैसे क्षत्रियों में दान्तवाक्य चक्रवर्ती श्रेष्ठ है, उसी प्रकार ऋषियों में वर्द्धमान महावीर श्रेष्ठ हैं॥२२॥ 'जोहेसु णाए'
शाय-'जहा-यथा' प्रभा 'णाए-जातः' प्रसिद्ध 'वीससेणे-विश्वसेनः' विश्वसेन यती'जोहेसु-योद्धेपु' 'योध्या मामा 'सेटे-श्रेष्ठ.' श्रेष्ठ छे भने । 'जहा-यथा' २ प्रमाणे 'पुप्फेपु-पुष्पेषु' पुण्यामा ‘अरवि दमाई-अरविन्दम् आहुः' मान प्रधान ४ामा सावे छे. 'जहा-यथारे प्रमाणे 'खतीण-क्षत्रियाणां' क्षत्रियामा ‘दंतवक्के सेटे-दान्तवाक्यः श्रेष्ठ' होता४५ यता श्रेष्ठ छ. 'तह-तथा' मे प्रभारी 'इसीण-ऋषीणां'ऋषियमा 'वद्धमोणे सेतु-वर्धमानो श्रेष्ठः' बईमान महावीर स्वामी श्रेष्ठ छे. ॥ २२ ॥
. . સૂત્રાર્થ–જેમ ચોદ્ધાઓમાં જગવિખ્યાત વિકસેનને શ્રેષ્ઠ ગણવામાં - આવે છે, જેમ પુમાં કમળને શ્રેષ્ઠ ગણવામાં આવે છે, જેમ ક્ષત્રિમાં ,