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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३६ क्षत्रिय राजाओंके गुरुओंसे इन लम्बेच जातिका ऐतिहासिक दृष्टिसे धनिष्ट संबंध मिल रहा है तथापि हमारी बुद्धि इस समय बड़े ही भ्रमर चक्रमें पड़ी हुई है जबतक राजा लोमकरणका पता नहीं चलता तब तक अन्वेषणीय है परन्तु अब लंबेचूजातिके वंशधरोका उल्लेख विशेष रूपसे मिलने लगा है एक यह भी विशेष बात है कि वर्तमान समयमें लंबेच घरोंकी बस्ती १००८ श्री नेमिनाथ स्वामीकी जन्म नगरी सूरीपुर ( वटेश्वर ) के आसपास ही निवास कर रही है यह निवास भी यादवकुल संतान सूचित करता है यद्यपि वर्तमान राष्ट्र कूट आदि वंशोंकी वंशावलीमें राजा लोमकरण का उल्लेख नहीं मिला है तथापि आचार्योंकी पट्टावलियों से तथा पटिया पुरोहित लोगोंकी हज़ार आठसौ वर्षोंकी बहियों से तथा सैकड़ों वर्षों से सन्तान दरसन्तान भाट लोग लम्बेचजातिके संघी रपरिया ठाकुर, चन्दवरिया ठाकुर वकेवरिया ठाकुर इत्यादि कहकर लोगों को पुकारते आते हैं और वंशावली विरद बखानते हैं; इत्यादि प्रबल प्रमाणों से निर्विवाद सिद्ध है कि लंबेच जाति यादववंश क्षत्रिय हैं । यह एक और भी