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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३७ कमलमार्तण्ड १, न्यायकुमुद-चन्द्रोदय २, अर्थ प्रकाश ३, वादिकौशिक मार्तण्ड ४, राज मार्तण्ड ५, प्रमाणदीपिका ६ आदि शास्त्रोंके रचयिता श्री प्रभाचन्द्राचार्यके गुरु लोकचन्द्राचार्य लँबेच हुए हैं। उनका नाम भी इंडियन एण्टीक्वेरी पट्टावलीमें है और ठीक इस पट्टावलीमें दिया हुआ संवत् ४२७४५३ दोनों आचार्योंका उसमें मिलता है। ये श्री लोहाचार्य, लोकचन्द्र, प्रभाचन्द्र आदि भद्दलपुरके पट्टाधीश हुए। ये लोहाचार्यजी उन्हीं श्री गुप्तिगुप्त मुनिके शिष्यप्रशिष्योंमें हैं और इनके शिष्य प्रशिष्योंमें अर्ककीर्ति मुनि हैं। जिनको अकालवर्ष प्र. कृष्णके पोता गोविन्द तृतीयने इन्दीगुरदेशमें जल मङ्गलग्राम दिया, ताम्रपत्रमें लिखा है । इस जटाजूट इतिहाससे इतना पता लगता है कि इन उत्तम पुरुषोंसे लंबेचजातिका घनिष्ट सम्बन्ध मिलता है तथा काञ्चीदेश दक्षिणमें तो है परन्तु जूना गढ़की तरफ या अन्य किसी जगह लम्बकाश्चन नगरके नामका अबतक उल्लेख नहीं मिला है। दूसरे भद्दलपुरका अपभ्रंश भदावरन हो जो भद्दलपुर बासियोंके वसनेसे यह अटेर गवालि