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३६ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * से खुदाई भी पुरातत्व विभागसे हुई है, कई प्रतिमाएँ भी निकली हैं। और रपरियाओंने रपरी ग्राम बसाया । वकेवरियाओंने बकेउर बसाया, जो इटावाके पास है। यह सब वृत्तान्त पटिया लोगोंकी बहियोंमें है। उसमें से कुछ नकल हमको भाई लोगोंसे श्रीयुत् बाबू उलफतिरायजी करहल निवासीने उतरवाकर भेजी है, सो भी हम इसमें लिखेंगे। उपर्युक्त इन बातोंसे हमारी दृष्टि ऐसी है कि आचर्य नहीं कि जिन राठौरोंका उल्लेख मसाढ़के इतिहास में किया है तथा १४ पीढ़ी बाद मारवाड़से आया लिखा है और पटिया लोगोंकी बहियोंमें ६६६ वर्ष मारवाड़में रहनेका उल्लेख है। सम्भव है कि राजा पाँचकुमार सेन पूर्व देश अंतरवेदमें गये। इस कथनसे और राजा देवनाथरायका संबंध कुछ मिले तथा इनके वंशधर अकाल वर्ष प्रथम कृष्ण तथा कृष्ण विजयी गोत्र इस सम्बन्धमें कुछ रहस्य मिले क्योंकि श्रीमान् आचार्य प्रवर लोहाचार्यजी इधरसे चलकर दक्षिण देशमें भद्दलपुरके पट्टाधीश हुए। ऐसा इण्डियन एंटीक्वेरीमें पट्टावलीके लेखमें है। और श्री लोहाचार्यजीका संवत् भी १४२ दिया है तथा श्री प्रमेय