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* अरिहन्त ,
नाथजी का जन्म हुआ । इनके शरीर का वर्ण स्वर्ण सदृश पीला था। देहमान ३५ धनुष का और आयुष्य ६५ हजार वर्ष का था । ७१। हजार वर्षे गृहस्थी में रहे । २३॥ हजार वर्ष संयम पाला । एक हजार मुनियों के साथ सिद्ध हुए।
(१८) श्री अरहनाथजी-इसके अनन्तर एक करोड़ और एक हजार वर्ष कम पाव पल्पोपम व्यतीत हो जाने पर हस्तिनापुर नगर के सुदर्शन राजा की देवी रानी से अठारहवें तीर्थङ्कर श्री अरहनाथ का जन्म हुआ । इनके शरीर का वर्ण स्वर्ण के समान पीला था। नन्दावर्त स्वस्तिक का लक्षण था। देह की उँचाई ३० धनुष की थी और आयु ८४ हजार वर्ष की। ६३ हजार वर्षे गृहस्थ रहे, २१ हजार वर्षे संयम पाला । एक हजार मुनियों के साथ मोक्ष पधारे।
(१६) श्री मल्लिनाथजी—तदनन्तर एक करोड़ और एक हजार वर्ष बाद, मिथिला नगरी के कुम्भ राजा की प्रभावती रानी से उन्नीसवें तीर्थङ्कर श्री मल्लिनाथ का जन्म हुआ। इनके शरीर का वर्ण पन्ना के समान हरा था। कुम्भ का लक्षण था । देहमान २५ धनुष और आयुष्य ५५ हजार वर्षे का था । १०० वर्ष गृहस्थावास में रहे । ५४६७० वर्ष संयम का पालन किया । ५०० साधुओं और ५०० आर्याओं के साथ मोक्ष पधारे ।।
(२०) श्री मुनिसुव्रतस्वामी–तदनन्तर ५४ लाख वर्ष के बाद राजगृह नगर के सुमित्र राजा की प्रभावती रानी से बीसवें तीर्थङ्कर श्री मुनिसुव्रतनाथजी का जन्म हुआ । इनके शरीर का वर्ण नीलम जैसा श्याम था । कूर्म (कछुए) का लक्षण था। देह की ऊँचाई २० धनुष की और आयु ३० हजार वर्ष की थी। २२॥ हजार वर्ष गृहवास में रहे। ७॥ हजार वर्ष संयम पाला । एक हजार मुनियों के साथ मोक्ष पधारे ।
(२१) श्री नमिनाथजी—फिर छह लाख वर्षों के बाद, मथुरा नगरी के विजय राजा की विप्रादेवी रानी से इक्कीसवें तीर्थङ्कर श्री नमिनाथ का जन्म हुआ। शरीर का वर्ण स्वर्ण-सा पीला था। नील-कमल का चिह्न