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( ३० ) महाराज ने उस वासुतिका अटवी में प्रवेश किया। उस पल्ली पर अपना आधिपत्य जमा कर एक मुड़ा (१६मण) - मोती और छप्पन करोड़ सोना मोहरें दण्ड रूप में प्राप्त की। शेष सब धन राजा दीपचन्द्र और राजा शुभगांग को दे दिया । पल्ली से प्राप्त बहु मूल्य वस्तुएँ कपड़े और धन सैनिकों में भी यथा योग्य रूप से वितीर्ण किया गया । इस प्रकार विजय-वरमाला पहन कर माहाराजा प्रतापसिंह अपने साथियों के साथ बहुत प्रसन्न हुए । ___ महाराजा ने अपने सभासदों के सामने उन चार कलाविज्ञों की भूरि २ प्रशंसा की । उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए महाराज ने फरमाया-आप लोगों की कला के कारण ही हमें कन्या का लाभ और विजय प्राप्ति हुई है। आप लोग अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण हो गये हैं । हम आपकी इस सेवा को सदा काल याद रखेंगे। इस प्रकार कृतज्ञता का परिचय देते हुए महाराजा ने उन चारों को बहुमूल्य पुरस्कारों से पुरस्कृत किये ।
उस अटवी को महाराजा ने साफ करवा दी। वहीं रानी सूर्यवती के नाम से सूर्यपुर नाम का एक सुन्दर नगर बसा दिया । दोनों राजाओं को बड़े २ भूखण्ड भेंट किये । राजा शुभगांग के आतिथ्य को स्वीकार करते