________________ नीति-शिक्षा-संग्रह से कोई गलती हो जाधे तो उसे साफ शब्दों में स्वीकार कर लो . एक झूठ को सिद्ध करने के लिए अनेक झूठ बोलकर अपनी आत्मा को दूषित न करो / विना जाँच पड़ताल किये दूसरों को दोष न लगाओ / विना आज्ञा किसी की चीज मत उठाओ, चलाकी धोकाबाजी और ठगाई किसी के साथ मत करो। 31 थाली में भोजन उतना ही लेना चाहिए जिसे जूठा न डालमा पड़े / भोजन मात्रा से अधिक न खाना चाहिए, अधिक भोजन करने से आलस्य तथा निद्रा सताती है और अजीर्ण होने का भय रहता है। __ 32 नाक का मल, कफ और थूक * वगैरह घृणा उत्पन्न करनेवाली चीजें ऐसी जगह डालनी चाहियें जहाँ लोगों की नजर न पड़े / गंदकी न फैले और सम्मृर्छिनादि जीव पैदा न हों। 33 पानी खड़े खड़े नहीं पीना चाहिये और पीते. समय " उचक उचक" की आवाज कण्ठ से नहीं होने देना चाहिये। मिना आवाज़ के भी पानी सुगमतापूर्वक पिया जा सकता है। 34 अपने से बड़े तथा मान्य पुरुषों के साथ, शान्ति, नम्रता और अत्यन्त बुद्धिमानी से बात-चीत करनी चाहिये / ऐसा न हो कि आप उनकी नज़र में उद्दण्ड, मूर्ख अथवा वमण्डी ठहरें। 35 खाद्य पदार्थ के रहने पर यदि और खाने की इच्छा हो तो "लामो लाओ" का हल्ला नहीं मचाना चाहिये / वरन्