________________ 'नीति-शिक्षा-संग्रह (47) स्थित हों. परवाह न करो, कर्म- वीर बनो / . 17 विना कारण इधर उधर नहीं घूमना चाहिए, विशेष करके रात्रि में काम होने पर भी अकेले कहीं पर न घूमना चाहिए / 18 संसार के सब जीवों से मित्रता, गुणवान् पुरुषों से प्रेम, दुःखी जीवों पर दया और शत्रुओं पर मध्यस्थभाव रक्खो। 16 समस्त प्राणियों को अपने समान, परधन को पत्थर समान और परस्त्री को माता समान समझो। . 20 विद्या से आत्मज्ञान, धन से दान, और शक्ति से दूसरों की रक्षा करनी चाहिए। 21 क्षमा रूपी तलवार को हमेशा अपने हाथ में रक्खो, जिस से क्रोध- शत्रु तुम्हारी सद्ज्ञान-लक्ष्मी को न हर सके। 22 सब के साथ प्रेम रक्खो, दूसरे की निन्दा मत करो किन्तु गुण प्रकट करो और मीठे वचन बोलो। 23 सत्संगति परमलाभ, संतोष परम धन, सद्विचार परमज्ञान और समता परमसुख है। 24 सत्पुरुषों की संगति करो, नीचों और कुत्र्यसनियों से सदा दूर रहो और अन्याय से बचो / . 25 आत्मा को सब प्रकार के व्यसनों से हमेशा दूर रक्खो। 26 विद्यार्थियों को संस्था (निस विद्यालय, कॉलेज, स्कूल या बोर्डिंग में रहता हो उस )के सब नियमों का भले प्रकार पालन करना चाहिए।