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पुद्गल-कोश स्थिति परमाणुत्व तथा स्कंधत्व की अपेक्षा भी हो सकती है, अवगाहन तथा क्षेत्रान्तर की अपेक्षा भी हो सकती है ; भाव गुणों की अपेक्षा भी हो सकती है।
भाव की अपेक्षा पुदगल अप्रदेशी भी होता है, सप्रदेशी भी होता है, अर्थात् एक अंश गुणवाला भी होता है, अनेक अंश गुणवाला भी होता है। यथा-एक अंश काला वर्ण गुणवाला भी होता है, अनेक अंश काला वर्ण गुणवाला भी होता है ।
पुद्गल सूक्ष्म भी होता है, बादर भी होता है । ____एक प्रदेश का अवगाहन करनेवाले पुदगल से लेकर यावत् असंख्यात प्रदेश को अवगाहन करने वाले पुद्गल अनन्त हैं ।
'०५२ परमाणु पुद्गल की परिभाषा के उपयोगी पाठ
(१) दुविहा पोग्गलापन्नत्ता, तंजहा-परमाणुपोग्गला चेव नोपरमाणुपोग्गला चेव।
-ठाण ० स्था २ । उ ३ । सू ८२ । पृ० १९२ (२) कतिवहे भंते ! परमाणु पन्नत्ते ? गोयमा ! चउन्विहे परमाणु पन्नत्ते, तंजहा-दव्वपरमाणु,खेत्तपरमाणु, कालपरमाणु, भावपरमाणु।
-भग० श २० । उ ५ । प्र १२ । पृ० ८०१ रूविणो चेवऽरूवी अजीवा दुविहा भवे । अरूवी दसहा बुत्ता रूविणो वि चउविहा॥ खन्धा य खन्धदेसा य तप्पएसा तहेव य । परमाणुणो य बोद्धव्वा रूविणो य चउन्विहा ॥
-----उत्त अ ३६ । गा ४, १० । पृ० १०४९-५० ... (४) परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि संखेज्जा, असंखेज्जा, अणता? गोयमा! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणता, एवं जाव अणंतपएसिया खंधा।
. -भग० श २५ । उ ४ । प्र ३८ । पृ० ८६४
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