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पुद्गल-कोश
अनेक परमाणुओं के एकत्व से स्कंध बनता है और उसका पृथक्त्व होने से परमाणु बनते हैं। क्षेत्र की अपेक्षा से वे स्कंध लोक के एक देश और समूचे लोक में भाज्य है । असंख्य विकल्प युक्त है ।
नोट-परमाणु आकाश के एक प्रदेश में ही अवगाहन करते हैं। इसलिए 'भजना' अथवा विकल्प केवल स्कंध का ही होता है। स्कंध की परिणति नाना प्रकार की होती है। कुछ स्कंध आकाश के एक प्रदेश में भी अवगाहन कर लेते हैं, कुछ आकाश के संख्येय प्रदेशों में अवगाहन करते हैं और कुछ स्कंध पूर्ण लोकाकाश में फैल जाते हैं । इसलिए क्षेत्रावगाहन की दृष्टि से इसके अनेक विकल्प है। (ङ) जध ते णभप्पदेसा तधप्पदेसा हवंति सेसाणं । अपदेसो परमाणू तेण पदेसुब्भवो भणिदो॥
-प्रव० अ २ । गा ४५ टीका-पुद्गलस्य तु द्रव्येणेक प्रदेशमात्रत्वादप्रदेशत्वे यथोदिते सत्यपि द्विप्रदेशाद्य द्भवहेतुभूततथाविधस्निग्धरूक्षगुणपरिणामशक्तिस्वभावात प्रदेशो
द्भवत्वमस्ति । ततः पर्यायेणानेकप्रदेशत्वस्यापि संभवात् । द्वयादिसंख्येयासंख्येयानन्तप्रदेशत्वमपि न्याव्यं पुद्गलस्य । स्कंध पुद्गल और क्षत्रावगाह (च) जावदियं आयासं अविभागीपुद्गलाणुउदृद्ध। तं खु पदेसंजाणे सव्वाणुढाणवाणरिहं॥
-वृहद् अधि १ । गा २७ टीका–x x x सर्वाणूनां सर्वपरमाणूनां सूक्ष्यस्कंधानां च स्थानदानस्यावकाशदानस्याह योग्यं समर्थमिति । यत एवेत्थंभूतावगाहनशक्तिरस्त्याकाशस्य तत एवासंख्यातप्रदेशेऽपिलोके अनंतानंतजीवास्तेभ्योऽप्यनन्तगुणपुद्गलाअवकाशः लभन्तेxxxi
उग्गाढगाढणिचिदो पुग्गलकाएहि सव्वजो लोगो। सुहुमेहि बादरेहि य गंताणतेहिं विविहेहिं ॥२॥ अर्थात् जितना आकाश अविभागी परमाणु से रोका जाता है उसको सब परमाणुओं के स्थान देने में समर्थ प्रदेश जानना चाहिए।
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