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३ पुद्गल के प्रदेश
पुद्गल - कोश
होंति असंखा जीवे धम्याधम्मे अनंत आयासे । मुत्ते तिविइ पदेसा कालस्सेगो ण तेण
सो काओ ॥
- वृहद् ० अधि १ । गा २५
और आकाश में अनंत है ।
एक जीव, धर्म, अधर्म द्रव्य में असंख्यात प्रदेश है मुर्त - पुद्गल में संख्यात, असंख्यात तथा अनंतप्रदेश हैं प्रदेश हैं अतः काल काय नहीं है ।
।
तथा काल के एक ही
एवपदेसो वि अणू णाणाखंधप्पदेसदो होदि । बहुदेसो उवारा तेण य काओ भगंति सव्वण्हु ॥
- वृहद् ० अधि १ । गा २६
एक प्रदेश का धारक भी परमाणु अनेक स्कंध रूप होता है अतः सर्वज्ञ देव उपचार से पुद्गल परमाणु को काय कहते हैं ।
८३ अल्पबहुत्व
- १ द्रव्य - प्रदेश की अपेक्षा पुद्गल की अल्पबहुत्व
एयस्स णं भंते ! पोग्गल त्थिकायस्स दव्वटू-पएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे पोग्गलस्थिकाए दव्वट्टयाए, से चेव पएसट्टयाए असंखेज्जगुणे ।
- पण्ण० प ३ । सू २७२
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बहुत प्रदेशों से बहु प्रदेशी
पुद्गलास्तिकाय के द्रव्य सबसे कम है, उनसे पुद्गलास्तिकाय के प्रदेश असंख्यात - गुणे अधिक है ।
• २ द्रव्य की अपेक्षा पुद्गल का अल्पबहुत
एएसि णं भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय आगासत्थि काय जीवत्थिकाय -पोग्गल त्थिकाय - अद्धासमयाणं दव्वट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! धम्मत्थिकाएअधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए य एए णं तिन्नि वि तुल्ला दव्वट्टयाए सच्वत्थोवा १, जीवत्थिकाए दव्वट्टयाए अनंतगुणे २, पोग्गलत्थिकाए दव्वट्टयाए अनंतगुणे ३, अद्धासमए दव्वट्टयाए अनंतगुण |
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- पण्ण० प ३ । सू २७०
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