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पुद्गल-कोश .११ से १४ तभ, छाया, आतप, उद्योत
तमो दृष्टिप्रतिबन्धकारणं प्रकाशविरोधि छाया प्रकाशावरणनिमित्ता। सा द्वधा-वर्णादि-विकारपरिणता प्रतिबिम्बमावात्मिका चेति ।
आतप आदित्यादिनिमित्तउष्णप्रकाशलक्षणः उद्योतश्चन्द्रमणिखद्योतादिप्रभवः प्रकाशः।
त एते शब्दादयः पुद्गलद्रव्यविकाराः।
त एषां सन्तीति शब्दबन्धसौम्य-स्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छाया तपोद्योतवन्तः। पुद्गला इत्यभिसंवध्यते ।
-सर्वसि. अ५ । सू २४ । टीका
__ जिससे दृष्टि में प्रतिबन्ध होता है और जो प्रकाश का विरोधी है बह तम कहलाता है। प्रकाश को रोकने वाले पदार्थों के निमित्त से जो पैदा होती है वह छाया कहलाती है। उसके दो भेद हैं-एक तो वर्णादि के विकार रूप से परिणत हुई और दूसरी प्रतिबिम्ब रूप। जो सूर्य के निमित्त से उष्ण प्रकाश होता है उसे आतप कहते हैं तथा चन्द्रमणि और जुगुनू आदि के निमित्त से प्रकाश होता है उसे उद्योत कहते हैं । ये सब शब्दारिक पुद्गल द्रव्य के विकार ( पर्याय ) हैं। इसलिए सूत्र में पुद्गल को इन शब्द, बन्ध, सौम्य, स्थौल्य, संस्थान, भेद, तम, छाया, आतप व उद्योतवाला कहा है।
•११ तम •१२ छाया .१३ आतप .१४ उद्योत •१५ प्रभा कृष्णवर्णबहुलः पुद्गलपरिणामविशेषः तमः ।
प्रतिबिम्बरूपः पुद्गलपरिणामः छाया। सूर्यादीनामुष्णः प्रकाश आतपः॥
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