Book Title: Pudgal kosha Part 1
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 767
________________ पुद्गल-कोश ६७५ It is hoped that the work will go a long way in helping the Jain students and scholars for understanding the technical subjects which are otherwise very difficult to comprehend. Muni Shri Mahendra Kumar (Disciple of Acharya Shri Tulsi ) क्रिया-कोश पर प्राप्त समीक्षा प्राचीन आगम साहित्य में यत्र-तत्र क्रियाओं का उल्लेख बिखरा पड़ा है । कहीं पर कुछ वर्णन है तो कहीं पर कुछ । प्रबुद्ध पाठक भी उन सब उल्लेखों का एकत्र अनुसंधान एवं चिन्तन करने में कठिनाई का अनुभव करता है । साधारण जिज्ञासु पाठकों की कठिनाई का अनुभव करता है । साधारण जिज्ञासु पाठकों की कठिनाई का कहना ही क्या ? कभी-कभी तो साधारण अध्येता इतनी उल्झन में फंस जाता है कि सब कुछ छोड़कर किनारे ही जा बैठता है । श्री मोहनलालजी बांठिया ने उन सब वर्णनों का क्रिया-कोश के रूप में एकत्र संकलन कर वस्तुतः भारतीय वाङ्मय की एक उल्लेखनीय सेवा भी है । मैं जानता हूँ — यह कार्य कितना अधिक श्रमसाध्य है । चित्तन के पथ की कितनी घाटियों को पार कर मंजिल पर पहुँचना होता है । प्रतिपाद्य विषय की विभिन्न भागों में वर्गीकरण करना अधिक उलझन भरा होता है परन्तु श्री बांठियाजी अपने धुन के एक ही व्यक्ति है । उनका चिन्तन स्पष्ट है । वे वस्तु-स्थिति को काफी गहराई से पकड़ते हैं उसका उचित विश्लेषण करते हैं । Jain Education International - उपाध्याय अमर मुनि २० अक्टूबर १९६९ इसके सम्पादक श्री मोहनलाल बांठिया और श्रीचन्द चोरड़िया हैं और प्रकाशन किया है जैन दर्शन समिति, कलकत्ता ने सन् १९६९ में । श्री बांठिया जैन दर्शन के सक्षम विद्वान हैं। उन्होंने जैन विषय कोश की एक लम्बी परिकल्पना बनाई थी और उसी के अन्तर्गत यह द्वितीय कोश के नाम से प्रसिद्ध हुआ । इस आधार पर किया गया है और उनके कोश का भी संकलन दशमलव वर्गीकरण के उपविषयों की एक लम्बी सूची है । क्रिया के साथ ही कर्म विषयक सूचनाओं को भी इसमें अंकित किया गया है । लेश्या कोश समान ही इस कोश के सम्पादन में भी पूर्वोक्त तीन बातों का आधार लिया गया है। इसमें लगभग ४५ ग्रन्थों का उपयोग किया गया है । जो प्रायः श्वेताम्बर आगम है । कुछ दिगम्बर ग्रन्थों का भी उपयोग किया गया है । सम्पादक ने उक्त दोनों कोषों के अतिरिक्त पुद्गल कोश, दिगम्बर लेश्या कोश, परिभाषा कोश को भी संकलन किया था, परन्तु अभी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790