Book Title: Pudgal kosha Part 1
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 780
________________ ६८ पुद्गल-कोश :शोधाथियों के लिए तो बहुत ही उपयोगी हैं-कोश ग्रन्थों का सुबोध संकलन । .: जैन दर्शन के सभी महत्वपूर्ण विषयों पर कोश ग्रन्थों का संकलन किया जाये तो जैन दर्शन की स्मृद्धि का एक नया आयाम मिल सकता है । —डा. विशाल मुनि । योग कोश में योग के भेद-उपभेदों का बड़े ही तलस्पर्शी ढग से विवेचन किया गया है। पठनीय है, चिन्तनीय है। -मुनिश्री सुमतिचंदजी .. प्रस्तुत पुस्तक स्व. मोहनलालजी बांठिया द्वारा प्रारम्भित जिनागम समुद्र अवगाहन कर विभिन्न जीवन आदि विषयों की श्रृंखला का दशमलव वर्गीकरण छट्ठा पुष्प-ग्रन्थ रत्न है। शोध छात्रों व वाङ्मय रसिकों के लिए बड़ा उपयोगी है। ऐसे ग्रन्थों का अध्ययन अध्येता के बहुश्रुतत्व में वृद्धि करता है। फिर भी संशोधनादि में पर्याप्त सतर्कता आवश्यक है। इसका प्रकाशन कर उच्चस्तरीय जैन साहित्य में अवश्य ही विद्वान सम्पादक ने बड़ा उपकार किया है। सहायक ग्रन्थ सूची में अधिकांश लाडणु में प्रकाशित ग्रन्थ है जबकि कई दिगम्बर व जैनेतर ग्रन्थों का भी उपयोग किया है पर जैन साहित्य अति विशाल है। जितना इस प्रथम खण्ड में आया है, अवशिष्ट द्वितीय खण्ड में अपेक्षित है। शोध और स्वाध्याय रुचि बालों के लिए यह सन्दर्भ ग्रन्थ अवश्य पठनीय है । -भंवरलाल नाहटा जैन आगम विषय कोश ग्रन्थमाला का यह छठा पुष्प है जिसमें मन के चार योग, वचन के चार योग तथा काया के सात योग अर्थात १५ योगों का विस्तार पूर्बक विवेचन है। आधुनिक दशमलव प्रणाली के आधार पर वर्गीकरण किया गया है। ग्रन्थ में योग की व्युत्पत्ति, समास, विशेषण और प्रत्यय आदि विशेषण सहित परिभाषा भी दी गई है। ग्रन्थ में बताया गया है कि किस जीव में कितने योग होते हैं। विद्वानों द्वारा यह ग्रन्थ समादृत हुआ तथा इसकी उपयोगिता स्वीकारी गयी है। यह प्रकाशन अर्हत् प्रवचन की प्रभावना एवं जैन दर्शन के तत्वज्ञान के प्रति सर्व साधारण को आकृष्ट करने के लिए किया गया है। विद्वानों के लिए ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी है। लगभग ३५० पृष्ठों का पक्की जिल्दयुक्त यह ग्रन्थ समादरणीय है। ... . -सम्पादक-चंदनमल चाँद ... . , जैन जमत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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