________________
पुद्गल-कोश
६९१
यह योग कोश अच्छी तरह मुद्रित एवं ध्यान से सदृढ़ बन्धी हुई है । इसमें आलौकिक संग्रह है । अपवाद भूत रूप से कुछ मुद्रण अशुद्धियाँ हैं जिन्हें लेखक ने स्वयं अलग से सूचित किया है। इसमें विस्तार पूर्वक भूमिका करीब ७५ पृष्ठों की बांधी गई है । मैं आशा करता हूँ, भविष्य में हमें उनसे इसी तरह का कार्य प्राप्त होता रहेगा । श्रीचन्द चोरड़िया जैनत्व के एक अच्छे विद्वान एवं असाधारण परिश्रमी शोधकर्त्ता हैं, जैनत्व के विषय पर । मैं विश्वास करता हूँ कि यह पुस्तक विश्व के विद्वानों के द्वारा उचित स्वीकृति प्राप्त करेगी ।
- सत्यरंजन बनर्जी
लेश्या कोश, क्रिया कोश, योग कोश
इन तीनों के सम्पादक है - स्व० मोहनलालजी बांठिया तथा श्रीचन्दजी चोरड़िया । सम्पादक द्वय ने लेश्या, क्रिया और योग के बिखरे सन्दर्भों को जैन आगम साहित्य से एकत्रित कर उनके सुसंयोजित रूप से लेश्या कोश, क्रिया कोश योग कोश के रूप में प्रकाशित किया है । सारा विषय उपबिन्दुओं में विभक्त है। तथा हिन्दी भाषा के अनुवाद से अन्वित है । लेश्या कोश सन् १९६६ में, क्रिया कोश १९६९ में व योग कोश १९९४ में जैन दर्शन समिति कलकत्ता में प्रकाशित हुए ।
- मुनिश्री बिमलकुमारजी तुलसी प्रज्ञा - भाग २३ अंक २, जुलाई-सितम्बर १९९७
योग कोश ग्रन्थ लेखक की अमूल्य कृति है । जैन दर्शन में योग की सूचिका के विषय में इस ग्रन्थ से पूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकेगी ।
- हीरालाल सुराणा
योग कोश में पचीस बोल के आठवें योग पन्द्रह का तल स्पर्शी विवेचन है । सम्पादक धन्यवाद के पात्र हैं ।
Jain Education International
प्रस्तुत पुस्तक योग कोश है । लिए कोश का उपयोग है । यह पर्याप्त प्रमाण है । कार्य को गतिशील बना दिया ।
- गुलाबमल भण्डारी अध्यक्ष, जैन दर्शन समिति
इसमें कोई संदेह नहीं कि एक अनुसंघित्सु के उपयोगिता ही इस कार्य की समृद्धि के लिए
- गणाधिपति तुलसी
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org