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पुद्गल-कोश
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वर्धमान जीवन कोश ( द्वितीय खण्ड ) में भगवान् महावीर के जीवन सम्बन्धित अनेक भवों की विचित्र एवं महत्वपूर्ण उपलब्धि है । यह कार्य अति उत्तम एवं प्रशंसनीय है ।
इसके लेखक मोहनलालजी बांठिया तथा श्रीचन्दजी चोरड़िया के श्रम का ही सुफल है । यह ग्रन्थ इतना सुन्दर एवं सुरम्य बन सका है। शोधकर्त्ताओं के लिए यह ग्रन्थ काफी उपयोगी होगा - ऐसा विश्वास हैं। रिसर्च करने वालों को भगवान् वर्धमान के सम्बन्ध में सारी सामग्री इस ग्रन्थ में उपलब्ध हो सकेगी ।
- मुनिश्री जसकरण, सुजान, बोरावड़ ( सुजानगढ़ वाले) ९ मई १९८७
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श्रीचन्दजी चोरड़िया का 'वर्धमान - जीवन - कोश द्वितीय खण्ड' समाप्त हुआ । ग्रन्थ-प्रेषण हेतु आभार ज्ञापन |
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भगवान् महावीर पर सम्प्रति- पर्यन्त बहुविध स्तरीय कार्य हुए हैं, किन्तु यह ग्रन्थ अपने आप में अभूतपूर्व है । शोध-स्नातकों के लिए तो यह ग्रन्थ सारस्वत वरदान सिद्ध होगा, ऐसा मेरा आत्म-विश्वास है । 'वर्धमान जीवन कोश' का प्रथम खण्ड भी उपादेय सिद्ध हुआ था । यद्यपि सामान्यतया लोग कोश निर्माण के कार्य को महत्ता की दृष्टि से नहीं देखते, परन्तु मेरा विचार है कि मौलिक चिन्तनमूलक ग्रन्थ-लेखन उतना वैदुष्यपूर्ण और श्रमसाध्य नहीं है, जितना कि कोस- संग्रहीत करना । मैं ऐसे ग्रन्थों का हृदय से स्वागत किया करता हूँ ।
प्रस्तुत समीक्ष्य ग्रन्थ "वर्धमान जीवन कोश" का द्वितीय खण्ड अपने आप में अनूठा और अद्वितीय है । महावीर - जीवन सम्बन्धी सन्दर्भ ग्रन्थ में सम्पादक द्वय का भगीरथ प्रयत्न और गम्भीर अध्ययन प्रतिबिम्बित हो रहा है । आगमों में यत्रतत्र बिखरी सामग्री को एकत्र कर इस तरीके से सजाया है कि शोध विद्यार्थियों के लिए बड़ी सुगमता कर दी है । प्रस्तुत ग्रन्थ के संकलन - सम्पादन में शताधिक ग्रन्थों का उपयोग सम्पादक की " एगग्गचित्तोभविस्सामित्ति” एकाग्र चित्तता का अवबोधक है ।
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शिवस्ते पन्थाः - मुनि चन्द्रप्रभसागर
आगम-सिन्धु का अवगाहन कर अनमोल मोतियों के प्रस्तुतीकरण का यह प्रयास सचमुच महनीय और प्रशस्य है ।
- हीरालाल सुराना
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