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पुद्गल-कोश
६४१ .९ सौम्य १० स्थौल्य
.१ सौम्यं द्विविध - अन्त्यमापेक्षिकं च। तत्रान्त्यं परमाणनाम् । आपेक्षिकं विल्वामलकवदरादीनाम् ।
स्थौल्यमपि द्विविधमन्त्यमापेक्षिकं चेति। तवान्त्यं जगद्वयापिनि महास्कन्धे । आपेक्षिकं वदरामलकविल्वतालादिषु ।
- सर्वार्थसि० अ ५ । सू २४ टीका सूक्ष्मता के दो भेद हैं-अन्त्यं और आपेक्षिकं । परमाणुओं में अन्त्य सूक्ष्मत्व है तथा बेल, आंवला और बेर आदि में आपेक्षिक सूक्ष्मत्व है। स्थौल्य भी दो प्रकार का है -अन्त्यं और आपेक्षिक । जगव्यापी महास्कंध में अन्त्य स्थौल्य है। तथा बेर, आंवला और बेर आदि में आपेक्षिक स्थौल्य है। कहा है
अत्तादि अत्तमझ अत्तंतं व इंदिये गेज्झं । जं दवं अविभागो तं परमाणु विआणाहि ॥
-सर्वासि• अ५ । सू २५ में उद्धृत जिसका आदि, मध्य और अन्त एक है और जिसे इन्द्रियां ग्रहण नहीं कर सकती ऐसा विभाग रहित द्रव्य उसे परमाणु समझो । ___ २ सौक्षम्यं द्विविधम् अन्त्यमापेक्षिकञ्च । अन्त्यं परमाणोः आपेक्षिक यथा-नालिकेरापेक्षया आभ्रस्य।
स्थौल्यमपि द्विविधम्-अन्त्यं अशेषलोकव्यापिमहास्कन्धस्य। आपेक्षिकं, यथा-आम्रपेक्षया नालिकेरस्य ।
-जैनसि० प्र१ । सू १५ सौक्षम्यं के दो भेद हैं-अन्त्यं और आपेक्षिकं । अन्त्य सूक्ष्म, जैसे परमाणु । आपेक्षिक सूक्ष्म - जैसे नारियल की अपेक्षा आम छोटा होता है ।
स्थौल्य भी दो प्रकार का है—अन्तिम स्थूल, जैसे-समूचे लोक में व्याप्त होनेवाला अचित्त महास्कंध । आपेक्षिक स्थूल, जैसे---आम की अपेक्षा नारियल बड़ा होता है।
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