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पुद्गल-कोश
__ ५९१ '३५ वर्ण-गंध-रस-स्पर्श को अपेक्षा पुद्गलों का अल्पबहुत्व
द्रव्य-प्रदेश-द्रव्यप्रदेश की अपेक्षा
एएसि णं भंते ! एगगुणकालगाणं, संखेज्जगुणकाल गाणं, असंखेज्जगुणकालगाणं, अणंतगुणकालगाण य पोग्गलाणं दवट्टयाए, पएसट्टयाए, दव्वट्ठपएसट्टयाए ? एएसि जहा परमाणुपोग्गलाणं अप्पाबहुगं तहा एएसि पि अप्पाबहुगं, एवं सेसाण वि वन-गंध-रसाणं । [ सू १६६ ]
एएसि णं भंते ! एगगुणकक्खडाणं, संखेज्जगुणकक्खडाणं, असंखेज्जगुणकक्खडाणं, अणंतगुणकक्खडाणं य पोग्गलाणं दवट्ठयाए, पएसट्टयाए, बन्धट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए, संखेज्जगुणकवखडा पोग्गला दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए असखेज्जगुणा, अणंतगुण कक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए अणंतगुणा, पएसट्टयाए एवं चेव, नवरं संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, सेसं तं चेव ।
दव्वटुपएसट्टयाए-सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला वटुपएसट्टयाए, संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा; ते चेव पएसटूयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जगुणकक्खडा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ते चेव पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, अणंतगुणकक्खडा बन्वट्टयाए अणंतगुणा, ते चेव पएसट्टयाए अणंतगुणा।
एवं मउय-गरुय-लहुयाण वि अप्पाबहुयं । सीय-उसिणनिद्ध-लुवखाणं जहा वण्णाणं तहेव।
- भग० श २५ । उ ४ । सू १६६, १६७ पृ० ९२३, ९२४ एक गुणकाले, संख्यात गुणकाले, असंख्यात गुणकाले और अनंत गुणकाले पुद्गलों में द्रव्य रूप से, प्रदेश रूप से तथा द्रव्य व प्रदेश रूप से अल्पबहुत्व के विषय में-जैसा परमाणु पुदगल की अल्पबहुत्व के विषय में-जैसा परमाणु पुद्गल की अल्पबहुत्व के विषय में कहा वैसा ही जानना चाहिए ।
इसी प्रकार शेष, वर्ण, गंध, रस के विषय में जानना चाहिए । १-सबसे कम एक गुण कर्कश स्पर्श वाले पुद्गल द्रव्यतः है।
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