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पुद्गल-कोश
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२ – उससे प्रदेश रूप से चरमान्त प्रदेश संख्यातगुणे हैं, उससे चरमान्त प्रदेश संख्यातगुणे हैं तथा उससे चरमान्त प्रदेश और अचरमान्त प्रदेश दोनों मिलकर विशेषाधिक है ।
इसी प्रकार वृत्त आदि चारों प्रकार के संस्थान के विषय में जानना चाहिए ।
४२ संस्थान की अपेक्षा अल्पबहुत्व
• १ द्रव्य को अपेक्षा
एएसि णं भंते! परिमंडल - वट्ट- तंस - चउरंस- आयत- अणित्थंथाणं संठाणाणं दव्वट्टयाए पसट्टयाए दव्वट्टपएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो जावविसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणा दव्वट्टयाए, बट्टा संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्गुणा, चउरंसा संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, तसा संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, आयता संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, अणित्थंथा संठाणा दव्बट्टयाए असंखेज्जगुणा ।
- भग० श २५ । उ ३ । सू ३६ । पृ० ९०७
द्रव्य को अपेक्षा - सबसे कम परिमंडल संस्थान के द्रव्य है, उससे वृत्त संस्थान के द्रव्य संख्यातगुणे हैं, उससे चतुरस्र ( चतुष्कोण ) संस्थान के द्रव्य संख्यातगुणे हैं । उससे त्र्यस्र ( तौन कोण वाला संस्थान ) संस्थान के द्रव्य संख्यातगुणे हैं, उससे आयत ( लम्बा ) संस्थान के द्रव्य संख्यातगुणे हैं ।
उससे अनित्थंस्थ – अनियत संस्थान असंख्यातगुणे हैं ।
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- २ प्रदेश की अपेक्षा
पट्टयाए – सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा पएसट्टयाए, बट्टा संठाणा पट्टया संखेज्जगुणा, जहा दव्बट्टयाए तहा पएसट्टयाए वि जावअणित्था संठाणा पएसट्टयाए असं खेज्जगुणा ।
- भग० श २५ । उ ३ । सू ३६ पृ० ९०७
सबसे न्यून परिमंडत संस्थान के प्रदेश है, उससे वृत्त संस्थान के प्रदेश संख्यातगुणे हैं, उससे चतुरस्र संस्थान के प्रदेश संख्यातगुणे हैं, उससे त्र्यत्र संस्थान के प्रदेश संख्यातगुणे हैं, उससे आयत संस्थान के प्रदेश संख्यातगुणे हैं तथा उससे अनित्थंस्थ ( अनियत ) संस्थान के प्रदेश असंख्यातगुणे है ।
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