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पुद्गल-कोश
६२५ नारकी जीव कर्मद्रव्यवर्गणा के पुद्गलों का भेदन करते हैं अर्थात् उनको तीव्रमध्य-मंद रस वाला करते हैं। कर्मद्रव्यवर्गणा की अपेक्षा जो भेदन होता है वह अणु ( सूक्ष्म ) तथा बादर (स्थूल ) दो प्रकार के पुद्गलों का होता है। यह सूक्ष्मत्व तथा स्थूलत्व कर्मद्रव्य वर्गणा के पुद्गलों का पारस्परिक तुलना की अपेक्षा है अन्यथा कर्म द्रव्यवर्गणा के पुद्गल तो औदारिकादि द्रव्यवर्गणाओं से सूक्ष्म हैं।
नारकी जीव की तरह दंडक के अन्य जीव भी अणु तथा बादर कर्मद्रव्यवर्गणा के पुद्गलों का भेदन करते हैं।
१ किस प्रकार के आहारद्रव्यवर्गणा के पुद्गलों को एकत्रित करते हैं
नेरइया णं भंते ! कइविहा पोग्गला चिजति ? गोयमा ! आहारदव्यवग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला चिज्जति, तंजहा–अणुचेव बादरा चेव ।
एवं उचिजति।
--भग० श १ । उ १ । सू २०, २१ । पृ०७
नारको जीव आहार द्रव्यवर्गणा की अपेक्षा दो प्रकार के पुद्गलों को एकत्रित करते हैं—यथा --सूक्ष्म तथा बादर । २. किस प्रकार के कर्मद्रव्यवर्गणा के पुद्गलों का उदोरण-वेदन-निर्जीर्ण
होता है
नेरइयाणं भंते ! कइविहे पोग्गले उदीरेंति ? गोयमा ! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहे पोग्गले उदीरेंति, तजहा— अणू चेव बादरा चेव । सेसावि एवं चेव भाणियव्वा-वेदेति णिज्जरेति ।
-भग० श १ । उ २ । सू २२ । पृ० ७ नारकी जीव कर्मद्रव्यवर्गणा के पुद्गलों का उदीरण करते हैं वह अणु ( सूक्ष्म ) तथा बादर (स्थूल ) दो प्रकार के पुद्गलों का होता है।
नारकी जीव की तरह दंडक के अन्य जीव भी अणु तथा बादर कर्मद्रव्यवर्गणा के पुद्गलों का उदीरण करते हैं ।
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