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पुद्गल-कोश
-६ पुद्गल के लक्षण के विषय में कहा है
सद्द धयार- र उज्जोओ, पहा छायाऽऽतवोति वा । वण्ण-रस-गंध-फासा - पोग्गलाणं तु लक्खणं ॥
शब्द, अंधकार, उद्योत, प्रभा, छाया, आतप, वर्ण-गंध-रस स्पर्श – ये पुद्गल के लक्षण हैं । अर्थात् इनके द्वारा पुद्गल द्रव्य पहचाना जाता है ।
पुद्गल के गुण
- उत्त० अ २८ । गा १२
पोग्गलु होइ पंच-गुणवंतउ । सद्दे गंधे रुवें फासें रसें ॥
पुद्गल द्रव्य पाँच गुणों से युक्त है - शब्द, गंध, रूप, स्पर्श और रस । गंधु वष्णु रसु फासु
स- सद्दउ ।
- वीरजि० संधि १२ | कड १०
-७ शब्द परिणाम
पुद्गल द्रव्य, गंध, वर्ण, रस, स्पर्श और शब्द - ये पंचगुणात्मक है ।
रसेहि
अर्याह ।
संजोय - विओर्याह ॥
वणार्याह परिणमंति
- वीरजि० संधि १२ । कड ९
( अजीवपरिणामे ) सद्दपरिणामे ।
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यह पुद्गल द्रव्य अनेक वर्णो, अनेक रसों आदि रूप परिणमन करता है और उसका संयोग अर्थात् जोड़ और वियोग अर्थात् विभाजन भी होता है ।
- वीरजि० संधि १२ । कड १०
- ठाण० स्था १० सू ७१३
टीका - शब्दपरिणामः शुभाशुभ भेदातिद्विधेति ।
( पुद्गल ) अजीव के दस भेदों में एक शब्द परिणाम है, वह दो प्रकार का हैंशुभ शब्द और अशुभ शब्द ।
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