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पुद्गल-कोश
का पता चलता है ऐसे दो इन्द्रिय आदि जीवों के शब्द अनक्षरात्मक शब्द है। ये दोनों प्रकार के शब्द प्रायोगिक है। अभाषात्मक शब्द दो प्रकार के हैं-प्रायोगिक और वैनसिक । मेघ आदि के निमित्त से जो शब्द उत्पन्न होते हैं वे बैनसिक शब्द है। तथा तत, वितत, धन और सोषिक के भेद से प्रायोगिक शब्द चार प्रकार
१-तत्र चर्मतनननिमित्तः पुष्करभेरी दुर्दरादिप्रभवस्ततः ।
-सर्वा. अ ५ । सू २४ २-तन्त्रीकृतवीणासुघोषादिसमुद्भवोविततः ।
-सर्वा० अ ५। २४ ३ –तालघंटालालनाद्यभिघातजो घनः।
-सर्वा० अ ५ । सू २४ ४-वंशशंखादिनिमित्तः सौषिरः।
-सर्वा० म ५ । सू २४ वह चार प्रकार का है-तत, वितत धन और सुषिर
१-तत-तबला, पुष्कर, भेदी, दुर्दर आदि शब्द । २-वितत-वीणा आदि का शब्द । ३-घन-ताल, धण्टा, लालन आदि का शब्द । ४-सुषिर- शंख, बांसुरी आदि का शब्द । स्वभाव जन्यो वैस्रसिकः-मेघादिप्रभवः ।
-जैनसिदी० प्र१ सू १५ मेधादि जन्य स्वाभाविक शब्द को वैरसिक कहते हैं।
शब्द
प्रायोगिक
वैनसिक
भोपालक
भाषात्मक
अभाषात्मक
तत
वितत
धन
सुषिर
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