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पुद्गल - कोश
अर्थात् परमाणु आदि का क्रमपूर्वक उत्सेधांगुल कहा है । नोट - दो उत्सेधांगुल भगदान महावीर की एक आंगुल । ६० पुद्गल का परिणाम
अनादिरादिमांश्च ॥ ४२ ॥ रूविष्वादिमान् ॥ ४३ ॥
- तत्त्व० अ ५, सू ४२, ४३
पुद्गल का परिणाम आदिमान है । काल की अपेक्षा परिणाम के दो भेद हैंअनादि व सादि ।
रूपिषु तु द्रव्येषु आदि परिणामोऽनेकविधः ।
पुद्गल का आदिमान परिणाम अनेक प्रकार का है ।
-६१ वर्ण-रस- यावत् गुणस्थान आदि भाव निश्चय नय से पुद्गल परिणाम तथा व्यवहार नय से जीव परिणाम है
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- तत्त्व ० अ ५ । सू ४३ का भाष्य
जीवस्स णत्थि वण्णो णवि गंधो जवि रसो गवि य फासो ।
वा ।। ५२ ।।
गवि रूपं ण सरीरं ण वि जीवस्स णत्थि रागो जवि दोसो णो पच्चया णकम्मं णोकम्मं जीवस्स णत्थि वग्गो ण वग्गणा जेव फड्ढया केई । णो अज्झप्पट्ठाणा णेव य अणुभावद्वाणा जीवस्स णत्थि केई जोग्गद्वाणा ण बंधठाणा णेव य उदयट्ठाणा णो मग्गणद्वाणया जो ठिदिबंधट्टाणा जीवस्स ण संकिलेसट्टाणा वा । जेव विसोहिद्वाणा णो संजमलद्विठाणा वा ॥ ५४ ॥ णेव य जीवद्वाणा ण गुणट्ठाणा य अस्थि जीवस्स । जेणदु एदे सव्वे पोग्गलदव्यस्स परिणामा ॥ ५५॥
संठाणं ण संहणणं ॥ ५० ॥
मोहो ।
णेव विज्जदे चावि से णत्थि ।। ५१ ।।
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वा ।
कई ॥ ५३ ॥
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