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पुद्गल-कोश
६०१
-४० पसट्टयाए - सव्वत्थोवा इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए चरमंतपरसा, अचरमं तपएसा असंखेज्जगुणा, चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया ।
दव्वटुपए सट्टयाए - सव्वत्थोवे इमी से रयणप्पभाए पुढवीए दव्वट्टयाए एगे अचरमे, चरिमाई असंखेज्जगुणाई, अचरिमं अचरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई । पएसट्टयाए चरिमं तपएसा असंखेज्जगुणा, अचरिमं तपएसा असंखेज्जगुणा, चरम तपएसा य अचरमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया ।
- पण्ण० पद १० सू १७
प्रदेश रूप में -
१ - सबसे कम असंख्यातप्रदेश में स्थित असंख्यातप्रदेशी परिमंडल संस्थान के चरमान्तप्रदेश है, उससे अचरमान्तप्रदेश असंख्यातगुणे हैं तथा उससे चरमान्तप्रदेश व अचरमान्तप्रदेश दोनों मिलकर विशेषाधिक है ।
प्रदेश- द्रव्य रूप से -
१ - सबसे कम असंख्यात प्रदेश में स्थित असंख्यात प्रदेशी परिमंडल संस्थान के द्रव्य रूप से अचरमखण्ड है ।
२ -- उससे बरमान्तखण्ड द्रव्य रूप में असंख्यातगुणे हैं ।
३ – उससे अचरमखण्ड और चरमखण्ड के द्रव्य दोनों मिलकर विशेषाधिक है ।
४—उससे चरमान्त के प्रदेश असंख्यातगुणे हैं ।
५ --उससे अचरमान्त के प्रदेश असंख्यातगुण हैं ।
६ - उससे चरमान्त प्रदेश व अचरमान्त प्रदेश दोनों के प्रदेश मिलकर विशेषाधिक है ।
• ४१ संख्यात प्रदेश में स्थित असंख्यात प्रदेशी परिमंडल संस्थान के अचरमखंड चरमखंड - चरमान्त प्रदेश- अचरमांत प्रदेशों की
द्रव्य - प्रदेश रूप में अल्पबहुत्व
परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स संखेज्जपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस अचरिमस्स य चरिमाण य चरिमंतपसाण य अचरिमं तपसाण य
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