Book Title: Pudgal kosha Part 1
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 701
________________ पुद्गल-कोश ६०९ .२ एएसि णं भंते ! अणंतपएसियाण खंधाणं सेयाणं, निरेयाण य कयरे कयरेहितो जाव-विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा निरेया, सेया अणंतगुणा। [ मू २१० ].... .... - एएसि णं भंते ! दुपएसियाणं खंधाणं देसेयाणं, सम्वेयाणं, निरेयाण य कयरे कयरेहितो जाव-विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा दुपएसिया खंधा सव्वेया, देसेया असंखेज्जगुणा, मिरेया असंखेज्जगुणा । एवं जाव-असंखेज्जपएसियाणं खंधाणं । [ २३७] एएसि णं भते ! अणंतपएसियाणं खंधाणं देसेयाणं, सव्वेयाणं, निरेयाण य कयरे कयरेहितो जाव-विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खधा सव्वेया, निरेया अणंतगुणा, देसेया अणंतगुणा, [ सू २३८] -~भग• श २५ । उ ४ । सू२१०, २३७, २३८ सबसे कम सकंप परमाणुपुद्गल हैं उनसे निष्कंप परमाणुपुद्गल असंख्यातगुण हैं। इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कंध यावत् असंख्यात स्कंध तक जानना चाहिए । - सबसे कम निष्कंप अनंतप्रदेशी स्कंध हैं उनसे सकंप अनंतप्रदेशी स्कंध अनंतगुणे हैं। सबसे कम सकंप द्विप्रदेशी स्कंध है, उनसे देशतः सकंप असंख्यातगुण हैं, उनसे निष्कंप द्विप्रदेशी स्कंध असंख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार यावत् असंख्यातप्रदेशी तक जानना चाहिए। - सबसे कम सकंप अनंतप्रदेशी स्कंध है, उनसे निष्कंप अनंतप्रदेशी स्कंध अनंतगुणे हैं, उससे देशतः निष्कंप अनंतप्रदेशी स्कंध अनंतगुणे हैं। .५२ पुद्गल उपनिधिको खेत्ताणुपुव्वी ___ अहवा उवणिहिआ खेत्ताणुपुव्वी तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-पुवाणुपुवी पच्छाणुपुत्वी अणाणुपुवी। से कि तं पुवाणुपुवी?, २ एगपएसोगाढे दुपएसोगाढे जाव दसपएसोगाढ संखिज्जपएसोगाढे जाव असं खिज्जपएसोगाढ से तं पुव्वाणुपुव्वी। से कि तं पच्छाणुपुवी? २ असखेज्जपए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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