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पुद्गल-कोश एवं आडक्काइयाण वि जाव वणस्सइकाइयाणं ।
-पण्ण० प १५ । सू २८-२९ एएसि णं भंते ! बेइंदियाणं जिभिदिय-फासेंदियाणं कक्खडगरुयगुणाणं मउयलहुयगुणाणं कक्खडगरुयगुण-मउयलहुयगुणाण य कयरे-कयरेहितो अप्पा वा ४ ? गोयमा! सम्वत्थोवा बेइंदियाणं जिभिदियस्स कक्खड. गरुयगुणा, फार्सेदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा, फासेंदियस्स कक्खडगरुयगुणहितो तस्स चेव मउयलहुयगुणा अणंतगुणा, जिभिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा। एवं चरिदिय त्ति, णवरं इंदियपरिवुड्डी कायव्या। तेइंदियाणं घाणेदिए थोवे, चरिदियाणं चक्खिदिए थोवे।
___-पण्ण ० प १५ सू ३३, ३४
सबसे कम पृथ्वी कायिक स्पर्शेन्द्रिय कर्कश-गुरु गुण है, उससे मृदुलघु गुण अनंतगुण है।
इसी प्रकार अप्कायिक यावत् वनस्पतिकायिक के विषय में जानना चाहिए। सबसे कम द्वीन्द्रिय के रसेन्द्रिय के कर्कश-गुरु गुण है। उससे स्पर्शेन्द्रिय के कर्कश-गुरु गुण अनंतगुणे है । स्पर्शेन्द्रिय के कर्कश-गुरु गुण से मृदुलघु गुण अनंतगुणे हैं । उससे रसेन्द्रिय के मृदुलघु गुण अनंतगुणे हैं ।
इसी प्रकार त्रीन्द्रिय व चतुरिन्द्रिय के विषय में जानना चाहिए। लेकिन इन्द्रिय को परिवृद्धि जाननी काहिए। त्रीन्द्रिय में घ्राणेन्द्रिय सबसे कम है तथा चतुरिन्द्रिय में चक्षुरिन्द्रिय सबसे कम है ।
.३२ एक गुण काला आदि की अल्पबहुत्व
संख्यातगुण काले आदि पुद्गलों में द्रव्य-प्रदेश-द्रव्यप्रदेश की अल्पबहुत्व
एएसि गंभंते ! एकगुणकालगाणं संखिज्जगुणकालगाणं असंखज्जगुणकालागाणं अणंतगुणकालगाण य पोग्गलाणं दवट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए य कयरेकयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! जहा परमाणुपोग्गला तहा भाणियब्वा, एवं संखिज्जगुणकालगाण
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